Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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गा० २२)
मुजगारविहत्तीए अंतराणुगमो
णमिदि अहिप्पाओ । कुदो ? अणंताणुबंधिविसंजोयणाए उक्कस्सेण वासपुधत्तंतरे संते विसंजोयत्ताणमभावादो। तत्थ चउवीस-अहोरत्ताणि अंतरं होदि जत्य सम्मतसम्मामिच्छत्ताणमुवेलणादो अप्पदरमिच्छिादि । एत्थ पुण तं णस्थि । तम्हा वासपुधत्तंतरमणुद्दिसादिसु णिरवजमिदि।
$४६७. वेउव्वियमिस्स, अप्पदर० एगसमओ, उक्क० चउबीस अहोरत्ताणि सादि० । अवष्टि० जह• एगसमओ, उक्क० बास्स मुहुत्ता । आहार. आहारमिस्स० अवष्टि जह० एगसमओ, उक्क. वासपुत्त । एवमकसाय० जहाक्खाद० णेदच्वं । अवगद० अप्पदर० अवहि० जह० एगसमओ, उक्क० छम्मासा । सुहुमसांपराइय. अवहि० जह० एगसमओ उक्क० छम्मासा। अभध्व० अवष्टि णस्थि अंतरं । खइय. अप्प० जह० एयसमओ, उक्क० छम्मासा । अवहिणस्थि अंतरं। उवसम०-सासणअन्तरकाल वर्षपृथक्त्व रहते हुए बीचमें विसंयोजना नहीं बन सकती है। अल्पतर विभक्तिस्थानका चौबीस दिनरात अन्तरकाल तो वहां होता है जहां सम्यक्प्रकृति और सम्यगमिथ्यात्व प्रकृतिकी उद्वेलनासे अल्पतर विभक्तिस्थान स्वीकार किया जाता है। पर अनुदिशसे लेकर अपराजित तकके देवों में इस प्रकारका अल्पतर विभक्तिस्थान ही नहीं पाया जाता है । इससे प्रतीत होता है कि अनुदिशादिकमें अल्पतर विभक्तिस्थानका वर्षपृथक्त्वप्रमाण अन्तरकालका कथन निर्दोष है।
१६७.वैक्रियिकमिश्रकाययोगियों में अल्पतर विभक्तिस्थानवाले जीवोंका जघन्य अन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल साधिक चौबीस दिनरात है। तथा अवस्थित विभक्तिस्थानवाले जीवोंका जघन्य अन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल बारह मुहूर्त है। आहारककाययोगी और आहारकमिभकाययोगी जीवों में अवलित यिभक्तिस्थानकाले जीवोंका जघन्य अन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल वर्षपृथक्त्व है। इसीप्रकार अकषायी और यथाख्यातसंयत जीवोंमें अवस्थित विभक्तिस्थानवाले जीवोंका अन्तरकाल कहना चाहिये।
अपगतवेदियों में अल्पतर और अवस्थित विभक्तिस्थानवाले जीवोंका जपन्य अन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल छह महीना है । सूक्ष्मसापरायिकसंयतोंमें अवस्थित विभक्तिस्थानवाले जीवोंका जघन्य अन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल छह महीना है। अभव्योंमें सर्वदा अवस्थित विभक्तिस्थानकाले ही जीव पाये जाते हैं इसलिये उनमें अन्तरकाल नहीं पाया जाता है।
क्षायिकसम्यग्दृष्टियों में अल्पतर विभक्तिस्थानवाले जीवोंका जघन्य अन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल बह महीना है। तथा क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंमें अवस्थित विभक्तिस्थानका बन्तरकाल नहीं पाया जाता है। उपशमसम्यगरष्टि, सासादन सम्यग्
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