Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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गा० २२ ] पयडिहाणविहत्तीए अप्पाबहुप्राणुगमो गुणा, बारसवि० विसे०, चदुवि० संखे० गुणा । सेसमोघभंगो। माणक० सव्वत्थोवा पंचवि०, चदुण्हं० संखे० गुणा, एक्कारसवि० विसे०, बारसवि० विसे०, तिण्हं संखे० गुणा, तेरसण्हं० संखे० गुणा । सेसमोघमंगो । मायाकसाय० सव्वत्थोवा पंचण्ह विहत्तिया, तिण्हं वि० संखे० गुणा, चदु० विसे०, एकारस० विसे०, बारस. विसे०, दोण्हं संखे० गुणा, तेरस० संखे० गुणा । सेसमोघमंगो। लोभक० सव्वत्थोवा पंचण्हं, दोण्ह० संखे० गुणा, तिण्हं. विसे०, चदुण्हं० विसे०, एक्कारस० विसे०, बारस० विसे०, एकवीस० संखे० गुणा, तेरसण्हं वि० संखे० गुणा । सेसमोघमंगो। अकसायि० सम्वत्थोवा एक्कवीसविहत्तिया, चउवीस० संखे० गुणा । एवं जहाक्खादाणं वत्तव्यं ।
$ ४१५. आमिणि-सुद०-ओहि सव्वत्थोवा पंचविहत्तिया, एक्कवि० संखे० स्थानवाले जीव विशेष अधिक हैं। इनसे चार विभक्तिस्थानवाले जीव संख्यातगुणे हैं। शेष कथन ओघके समान है । मानकषायमें पांच विभक्तिस्थानवाले जीव सबसे थोड़े हैं। इनसे चार विभक्तिस्थानवाले जीव संख्यातगुणे हैं। इनसे ग्यारह विभक्तिस्थानवाले जीव विशेष अधिक हैं। इनसे बारह विभक्तिस्थानवाले जीव विशेष अधिक हैं। इनसे तीन विभक्तिस्थानवाले जीव संख्यातगुणे हैं। इनसे तेरह विभक्तिस्थानवाले जीव संख्यातगुणे हैं। शेष कथन ओघके समान है। मायाकषायमें पांच विभक्तिस्थानवाले जीव सबसे थोड़े हैं । इनसे तीन विभक्तिस्थानवाले जीव संख्यातगुणे हैं। इनसे चार विभक्तिस्थानवाले जीव विशेष अधिक हैं। इनसे ग्यारह विभक्तिस्थानवाले जीव विशेष अधिक हैं। इनसे बारह विभक्तिस्थानवाले जीव विशेष अधिक हैं। इनसे दो विभक्तिस्थानवाले जीव संख्यातगुणे हैं। इनसे तेरह विभक्तिस्थानवाले जीव संख्यातगुणे हैं। शेष कथन ओघके समान है। लोभकषायमें पांच विभक्तिस्थानवाले जीव सबसे थोड़े हैं । इनसे दो विभक्तिस्थानवाले जीव संख्यातगुणे हैं। इनसे तीन विभक्तिस्थानवाले जीव विशेष अधिक हैं। इनसे चार विभक्तिस्थानवाले जीव विशेष अधिक हैं। इनसे ग्यारह विभक्तिस्थानवाले जीव विशेष अधिक हैं। इनसे बारह विभक्तिस्थानवाले जीव विशेष अधिक हैं। इनसे एक विभक्तिस्थानवाले जीव संख्यातगुणे हैं। इनसे तेरह विभक्तिस्थानवाले जीव संख्यातगुणे हैं। शेष कथन ओघके समान है। अकषायी जीवोंमें इक्कीस विभक्तिस्थानवाले जीव सबसे थोड़े हैं। इनसे चौबीस विभक्तिस्थानवाले जीव संख्यातगुणे हैं। अकषायी जीवोंमें जिसप्रकार अल्पबहुत्वका कथन किया है उसीप्रकार यथाख्यातसंयतोके भी अल्पबहुत्वका कथन करना चाहिये।
४१५. मतिज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी जीवोंमें पांच विभक्तिस्थानवाले जीव सबसे थोड़े हैं। इनसे एक विभक्तिस्थानवाले जीव संख्यातगुणे हैं। इसप्रकार तेईस विभक्ति
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