Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [पयडिविहत्ती २ विरहिदलोभसंजल० अविहत्तियमत्तो। सम्मत्तस्स अविहत्तिया विसेसाहिया । के. मेत्तो ? वावीसविहत्तिएहि ऊणसत्तावीसविहत्तियमेत्तो।
$ १६२. आदेसेण गदियाणुवादेण णिरयगईए णेरईएसु सव्वत्थोवा मिच्छत्तस्स अविहत्तिया । के ते ? इगिवीस-बावीससंतकम्मिया। अणंताणु० चउक्क० अविहत्तिया असंखेजगुणा । को गुणगारो? आवलियाए असंखेजदिभागो। कुदो ? चउवीससंतकम्मियग्गहणादो । सम्मत्तस्स विहत्तिया असंखेजगुणा । को गुण । आवलियाए असंखेजदिभागो । कुदो ? वावीस-चदुवीसविहत्तियसहिद-अहावीससंतकम्मियग्गहणादो । सम्मामि० विह० विसे । के० मेत्तो ? वावीसविहत्तिएहिं परिहीणहै। लोभसंज्वलनकी विभक्तिवाले जीवोंसे सम्यग्मिध्यात्वकी अविभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं । विशेषका प्रमाण कितना है ? लोभसंज्वलनकी अविभक्तिवालोंके प्रमाणमेंसे सम्यग्मिध्यात्वकी विभक्तिवालोंके प्रमाणको घटा देनेपर जो शेष रहे उतना है। सम्यमिथ्यात्वकी आवभक्तिवाले जीवोंसे सम्यक्प्रकृतिकी अविभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं । विशेषका प्रमाण कितना है ? सत्ताईसप्रकृतिक विभक्तिस्थानवाले जीवोंके प्रमाणमें से बाईसप्रकृतिक विभक्तिस्थानवाले जीवोंका प्रमाण कम कर देनेपर जो प्रमाण शेष रहे उतना है।
१६२. आदेशनिर्देशकी अपेक्षा गतिमार्गणाके अनुवादसे नरकगतिमें नारकियोंमें मिथ्यात्वकी अविभक्तिवाले नारकी जीव सबसे थोड़े हैं।
शंका-नारकियोंमें मिथ्यात्वकी अविभक्तिवाले जीव कौनसे हैं।
समाधान-इक्कीस और बाईस प्रकृतिक विभक्तिस्थानवाले नारकी जीव मिथ्यात्वकी अविभक्तिवाले हैं।
मिथ्यात्वकी अविभक्तिवाले नारकियोंसे अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी अविभक्तिवाले नारकी असंख्यातगुणे हैं। गुणकारका प्रमाण क्या है ? गुणकारका प्रमाण आवलीका असंख्यातवां भाग है। इतने गुणित होनेका कारण यह है कि अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी अविभक्तिवाले जीवोंमें चौबीस प्रकृतियोंकी विभक्तिवाले नारकियोंका ग्रहण किया गया है । अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी अविभक्तिवाले नारकियोंसे सम्यक्प्रकृतिकी विभक्तिवाले नारकी जीव असंख्यातगुणे हैं । गुणकारका प्रमाण क्या है ? आवलीका असंख्यातवां भाग है। इतने गुणित होनेका कारण यह है कि यहां बाईस और चौबीसप्रकृतिक विभक्तिस्थानवाले नारकियोंके साथ अट्ठाईसप्रकृतिक विभक्तिस्थानवाले नारकी जीवोंका ग्रहण किया है। सम्यक्प्रकृतिकी विभक्तिवाले नारकियोंसे सम्यग्मिथ्यात्वकी विभक्तिवाले नारकी जीव विशेष अधिक हैं। विशेषका प्रमाण कितना है ? सत्ताईसप्रकृतिक विभक्तिस्थानवाले नारकियोंके प्रमाणोंमेंसे बाईसप्रकृतिक विभक्तिवाले नारकियोंका प्रमाण घटा देने
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