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२८॥
अपवलासहिदे कसायमाहुरे (डिविहत्ती १ असंखेजदि भागमेत्तुव्वेलणकालेण सम्मत्त-सम्मामिच्छत्ताणि उव्वेलिय छब्बीसविहत्तिओ जादो तस्स पलिदोवमस्स असंखेजदिभागमेत्तजहणतरुवलंमादो। ___ * उकस्सेण बेछावहि सागरोवमाणि सादिरेयाणि।
६३१३. कुदो ? अष्ठावीस-सत्तावीसविहत्तियाणं जो उकस्सकालो पुष्वं परूविदो सो छव्वीसविहत्तियस्स उक्स्संतरकालो त्ति अब्भुवगमादो। ___ * सत्तावीसविहत्तीए केवडियमंतरं ? जहण्णेण पलिदो० असंखे० भागो।
६३१४. कुदो ? सत्तावीसविहत्तिपमिच्छाइट्टी उवसमसम्मत्तं घेत्तण अहावीसविहतिओ होदूण अंतरिदो । पुणो मिच्छत्तं गंतूण सव्वजहण्णुब्वे लणकालेण सम्मत्तमुब्वेलिय जो सत्तावीसविहत्तिओ जादो, तत्थ पलिदो० असंखे० मागमेत्तअंतरकालुवलंभादो ।
___* उकस्सेण उवढपोग्गलपरियढें । मिथ्यात्वमें जाकर सबसे जघन्य पल्योपमके असंख्यातवें भाग प्रमाण उद्वेलन कालके द्वारा सम्यक्प्रकृति और सम्यग्मिथ्यात्वकी उद्वेलना करके पुनः छब्बीस प्रकृतिक स्थानवाला हो गया । उसके छब्बीस प्रकृतिकस्थानका जघन्य अन्तर पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण पाया जाता है।
* छब्बीस प्रकृतिकस्थानका उत्कृष्ट अ.तर साधिक एक सौ बत्तीस सागर है।
३१३. शंका-छब्बीस प्रकृतिकस्थानका उत्कृष्ट अन्तर साधिक एक सौ बत्तीस सागर कैसे है ?
समाधान-अट्ठाईस और सचाईस प्रकृतिकस्थानोंका जो उत्कृष्ट काल पहले कह आये हैं वह छब्बीस प्रकृतिकस्थानका उत्कृष्ट अन्तर काल होता है ऐसा स्वीकार किया गया है, अतः छब्बीस प्रकृतिकस्थानका उत्कृष्ट अन्तर काल साधिक एक सौ बत्तीस सागर है।
* सत्ताईस प्रकृतिकस्थानका अन्तर कितना है ? जघन्य अन्तर पल्यके असंख्यातवें भाग है। . ६३१४.शंका-सत्ताईस प्रकृतिकस्थानका जघन्य अन्तर पल्यके असंख्यातवें भाग क्यों है ?
समाधान-जो सत्ताईस प्रकृतिकस्थानवाला मिथ्यादृष्टि जीव उपशम सम्यक्त्वको ग्रहण करके और अट्ठाईस प्रकृतिकस्थानवाला होकर सत्ताईस प्रकृतिकस्थानके अन्तरको प्राप्त हुआ। पुनः मिथ्यात्वमें जाकर सबसे जघन्य उद्वेलन कालके द्वारा सम्यक्प्रकृतिकी उद्वेलना करके सचाईस प्रकृतिकस्थान वाला हो गया। उसके सत्ताईस प्रकृतिकस्थानका जघन्य अन्तर काल पल्यके असंख्यातवें भाग पाया जाता है।
* सत्ताईस प्रकृतिकस्थानका उत्कृष्ट अन्तरकाल उपापुद्गलपरिवर्तन प्रमाण है।
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