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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [ पयडिविहत्ती २ तेवीस-बावीस० खेत्तभंगो। सुक्कलेस्सा० अट्ठावीस-सत्तावीस-छव्वीस-चउवीस-एकवीस० आणदभंगो। सेस० खेत्तभंगो।
६३६९. वेदग० अठ्ठावीस-चउवीस० के० खेत्तं फोसिदं ? लोग० असंख० भागो, अहचोदस० देसूणा । तेवीस-बावीस० खेत्तभंगो । खइयसम्माइट्टी० एकवीस० के. खेत्तं फोसिदं ? लोग० असंखे० भागो, अह-चोदस० देसूणा । सेस० खेत्तभंगो। उवसम० अठ्ठावीस०-चउचीस० के० खेतं फोसिदं ? लोग. असंखे भागो, अट्ठचोद्दस० देसूणा। सासणे अट्ठावीस० के० खेतं फोसिदं ?, लोग० असंखे० भागो, अष्टबारह-चोदस० देसूणा । सम्मामिच्छाइही. अहावीस-चउवीस० के० खेत्तं फोसिदं ? लोग० असंखे० भागो, अह-चोदस० देसूणा ।।
एवं फोसणं समत्तं । ६३७०. कालाणुगमेण दुविहो णिद्देसो, ओघेण आदेसेण य । तत्थ ओघेण अहाविभक्तिस्थानवालोंका स्पर्श सहस्त्रार स्वर्गके देवोंके स्पर्शके समान है । तेईस और बाईस विभक्तिस्थानवालोंका स्पर्श क्षेत्रके समान है । शुक्ललेश्यामें अट्ठाईस, सत्ताईस, छब्बीस, चौबीस और इक्कीस विभक्तिस्थानवालोंका स्पर्श आनत कल्पके देवोंके स्पर्शके समान है। तथा शेष पदोंका स्पर्श क्षेत्रके समान है।
३६६. वेदक सम्यग्दृष्टियोंमें अट्ठाईस और चौबीस विभक्तिस्थानवाले जीवोंनेकितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग और त्रस नालीके चौदह भागोंमेंसे कुछ कम आठ भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है । तथा तेईस और बाईस विभक्तिस्थान वालोंका स्पर्श क्षेत्रके समान है । क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंमें इक्कीस विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग और त्रस नालीके चौदह भागों मेंसे कुछ कम आठ भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है। शेष पदोंका स्पर्श क्षेत्रके समान है। उपशमसम्यग्दृष्टियोंमें अट्ठाईस और चौवीस विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग और त्रसनालीके चौदह भागोंमेंसे कुछ कम आठ भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है। सासादनसभ्यग्दृष्टियोंमें अट्ठाईस विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवेंभाग तथा त्रसनालीके चौदह भागोंमेंसे कुछ कम आठ भाग और कुछ कम बारह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है । सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंमें अट्ठाईस और चौबीस विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग और त्रस नालीके चौदह भागोंमेंसे कुछ कम आठ भाग प्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है।
इसप्रकार स्पर्शनानुयोगद्वार समाप्त हुआ। - ३३७०. कालानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है ओघनिर्देश और आदेशनिर्देश ।
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