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गा० २२ ]
पावहत्तीए फोसणाणुगमो
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असंखे० भागो, अट्ठअट्ठावीस - चउवीस-एक
अट्ठावीस - सत्तावीस-छब्बीस० के० खेतं फोसिदं 2 लोग० चोदस० देसूणा, सव्वलोगो वा । आभिणि० - सुद० - ओहि० वीस० के० खेत्तं फोसिदं ? लोग० असंखे ० भागो, अट्ठ- चोहस० देखणा | सेसप० खेत्तभंगो । एवमोहिदंस० - सम्मादिट्ठी त्ति वत्तव्वं । संजदासंजद० अट्ठावीस - चउवीस ० के० खेत्तं फोसिदं ९ लोग० असंखे० भागो, छ- चोदस० देखणा । सेसप० खेत्तभंगो । असंजद० सव्वपदाणमोघभंगो ।
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३६८. किह-णील काउ० अट्ठावीस-सत्तावीस - छब्वीस ० तिरिक्खोघभंगो | सेस० खेतभंगो । वरि काउलेस्साए वावीस ० के० खेत्तं फोसिदं ? लोग० असंखे० भागो । तेउ० अट्ठावीस - सत्तावीस - छव्वीस - चउवीस एकवीस० सोहम्मभंगो | तेवीस-बावीस ० खेत्तभंगो । पम्मलेस्सा० अट्ठावीस - सत्तावीस - छब्वीस - चउवीस-एक्कवीस • सहस्सारभंगो । क्षेत्रका स्पर्श किया है । छब्बीस विभक्तिस्थानवाले उक्त जीवोंने सर्व लोकका स्पर्श किया है । इसीप्रकार मिध्यादृष्टि और असंज्ञी जीवोंका स्पर्श जानना चाहिये । विभंगज्ञानियोंमें अट्ठाईस, सत्ताईस और छब्बीस विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग, त्रसनालीके चौदह भागों में से कुछ कम आठ भाग और सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है ।
मतिज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी जीवोंमें अट्ठाईस, चौबीस, और इक्कीस विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग और श्रसनालीके चौदह भागोंमेंसे कुछ कम आठ भाग प्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है । उक्त जीवोंके शेष पदोंका स्पर्श क्षेत्रके समान है । इसीप्रकार अवधिदर्शनी और सम्यग्दृष्टियोंके स्पर्श कहना चाहिये ।
संयतासंयतों में अट्ठाईस और चौबीस विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग और त्रसनालीके चौदह छह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है। शेष पदोंका स्पर्श क्षेत्रके सभी पदोंका स्पर्श ओघके समान है ।
३६८. कृष्ण, नील और कापोत लेश्यामें अट्ठाईस, सत्ताईस और छब्बीस विभक्तिस्थानवाले जीवोंका स्पर्श सामान्य तिर्यंचोंके समान है । तथा शेष पदोंका स्पर्श क्षेत्रके समान है । इतनी विशेषता है कि कापोत लेश्यामें बाईस विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग क्षेत्रका स्पर्श किया है ।
पीतलेश्या में अट्ठाईस, सत्ताईस, छब्बीस, चौबीस और इक्कीस विभक्तिस्थानवाले जीवों का स्पर्श सौधर्मकल्पके देवोंके स्पर्शके समान है । तेईस और बाईस विभक्तिस्थानवालों का स्पर्श क्षेत्रके समान है । पद्मलेश्या में अट्ठाईस, सत्ताईस, छब्बीस, चौबीस और इक्कीस
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भागों में से कुछ कम समान है । असंयतों में
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