Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे । पडिविहत्ती २ असंखे० भागो, सव्वलोगो वा । छव्वीस० सबलोगो । सेस० खेत्तभंगो । कम्मइय० अठ्ठावीस सत्तावीस० के० खेत्तं फोसिदं ? लोगस्स असंखेज्जदि भागो, सव्वलोगो वा। छठवीस. केव० खेत्तं फोसिदं ? सव्वलोगो। चउवीस० लोगस्स असंखे. भागो, छ-चोदस० । सेसपदाणं खेत्तभंगो । एवमणाहारि० । वेउब्धिय० अट्ठावीससत्तावीस-छव्वीस० के० खेतं फोसिदं ? लोग० असंखे० भागो; अह-तेरह-चोहसभामा वा देसूणा । चउवीस-एकवीस० के० खेत्तं फोसिदं ? लोग० असंखे० भागो, अह-चोदस० देसूणा । इत्थिवेदे पंचिंदियभंगो। णवरि एकवीस० खेत्तभंगो। णबुंस० अहावीस-सत्तावीस-छव्वीस-चउवीस० तिरिक्खोघभंगो। सेसपदाणं खेत्तभंगो। मदि-सुद-अण्णाण अठावीस-सत्तावीस० के० खेत्तं फोसिदं ? लोग० असंखे०भागो, सबलोगो वा । छव्वीस० सव्वलोगो। एवं मिच्छादि०-असण्णि । विहंम० क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग तथा सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है। छब्बीस विभक्ति स्थानवाले औदारिकमिश्रकाययोगी जीवोंने सर्व लोकका स्पर्श किया है। तथा शेष पदोंका स्पर्श क्षेत्रके समान है।
कार्मणकाययोगियोंमें अट्ठाईस और सत्ताईस विभक्ति स्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग तथा सर्व लोक प्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है । छब्बीस विभक्तिस्थानवालोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? सर्व लोकका स्पर्श किया है। चौबीस विभक्तिस्थानवालोने लोकके असंख्यातवें भाग तथा त्रस नालीके चौदह भागों में से छह भाग प्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है। शेष पदोंका स्पर्श क्षेत्रके समान जानना चाहिये । इसीप्रकार अनाहारक जीवोंके स्पर्शका कथन करना चाहिये ।।
वैक्रियिक काययोगियोंमें अट्ठाईस, सत्ताईस और छब्बीस विभक्ति स्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग तथा त्रस नालीके चौदह भागोंमेंसे कुछ कम आठ भाग और कुछ कम तेरह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है। चौबीस और इक्कीस विभक्तिस्थानवालोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग तथा त्रस नालीके चौदह भागोंमेंसे कुछ कम आठ भाग प्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है।
स्त्रीवेदियों में स्पर्श पंचेन्द्रियोंके समान जानना चाहिये । इतनी विशेषता है कि इक्कीस विभक्तिस्थानको प्राप्त हुए स्त्रीवेदियोंका स्पर्श क्षेत्रके समान है। नपुंसकवेदियों में अट्ठाईस, सत्ताईस, छब्बीस और चौबीस विभक्तिस्थानवाले जीवोंका स्पर्श सामान्य तियचोंके समान जानना चाहिये । तथा शेष पदोंका स्पर्श क्षेत्रके समान है।
मत्यज्ञानी और श्रुताज्ञानी जीवोंमें अट्ठाईस और सत्ताईस विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग तथा सर्वलोक प्रमाण
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