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गा० २२] पयडिट्ठाणविहत्तीए परिमाणाणुगमो असंखेज्जा भागा। सेसप० असंखेज्जदिभागो।
__ एवं भागाभागो समत्तो। ६३५४. परिमाणाणुगमेण दुविहो णिदेसो ओघेण आदेसेण य। तत्थ ओघेण अट्ठावीस-सत्तावीस-चउवीस-एकवीसवि० केत्तिया ? असंखेज्जा । छव्वीसवि० के० ? अणंता। सेसट्ठाणविहत्तिया केत्तिया ? संखेज्जा। एवं तिरिक्ख-कायजोगि-ओरालिय०-णqसय०-चत्तारिक०-असंजद०-अचक्खु०-भवसि०-आहारि ति वत्तव्वं ।
६३५५. आदेसेण णिरयगईए णेरईएसु अठ्ठावीस-सत्तावीस-छव्वीस-चउवीस-एक्कवीसवि० केत्ति० १ असंखेज्जा। वावीसविह० के० ? संखेज्जा । एवं पढमपुढवि०-पचिंदिय तिरिक्ख- पंचिंतिरि०पज्ज०-देव-सोहम्मीसाणादि जाव उवरिमगेवज्जे त्ति । विदिबहुभाग हैं। शेष विभक्तिस्थानवाले जीव असंख्यातवें भाग हैं।
इसप्रकार भागाभागानुयोगद्वार समाप्त हुआ।
६३५४.परिमाणानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-ओघनिर्देश और.आदेशनिर्देश । उनमेंसे ओघनिर्देशकी अपेक्षा अट्ठाईस, सत्ताईस, चौबीस और इक्कीस विभक्तिस्थानवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं । छब्बीस विभक्तिस्थानवाले जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। शेष विभक्तिस्थानवाले जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। इसीप्रकार तिर्यंच सामान्य, काययोगी, औदारिककाययोगी, नपुंसकवेदी, क्रोधादि चारों कषायवाले, असंयत, अचक्षुदर्शनी, भव्य और आहारक जीवोंके कहना चाहिये।
विशेषार्थ-ओघसे जिस विभक्तिस्थानवाले जीवोंकी जो संख्या बतलाई है वह तियंच सामान्य आदि मार्गणाओंमें भी बन जाती है । यद्यपि विविध मार्गणाओंमें संख्या बट जाती है अतः ओघप्ररूपणासे आदेश प्ररूपणामें अन्तर पड़ना संभव है फिर भी अनन्तत्व सामान्य आदिको उक्त मार्गणास्थानवाले जीव उस उस विभक्तिस्थानवाले जीवोंकी संख्याकी अपेक्षा उल्लंघन नहीं करते हैं अत: इनकी प्ररूपणा ओघके समान कही है। किन्तु इतनी विशेषता है कि तिर्यंच सामान्य आदि मार्गणाओंमें कहां कितने विभक्तिस्थान पाये जाते हैं यह बात स्वामित्व अनुयोगद्वारसे जानकर ही कथन करना चाहिये, क्योंकि उक्त सब मार्गणाओंमें सब विभक्तिस्थान नहीं पाये जाते हैं।
६३५५. आदेशकी अपेक्षा नरकगतिमें नारकियोंमें अट्ठाईस, सत्ताईस, छब्बीस, चौबीस और इक्कीस विभक्तिस्थानवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं । बाईस विभक्तिस्थानवाले जीव कितने हैं ? संख्यात हैं । इसीप्रकार पहली पृथ्वीके नारकी, पंचेन्द्रियतिथंच, पंचेन्द्रियतिर्यचपर्याप्त, सामान्य देव और सौधर्म स्वसे लेकर नौवेयक तकके देवोंकी संख्या कहना चाहिये।
विशेषार्थ-ऊपर जितनी मार्गणाएं गिनाई हैं उनमें प्रत्येकका प्रमाण असंख्यात है।
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