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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [ पयडिविहत्ती २ बादरवाउ० पज्ज० छव्वीस लोग० संखे० भागे। सेसपदाणं लोगस्स असंखे० भागे। अभव्यसिद्धि• छव्वीसविह० के० खेते ? सव्वलोगे । सासण. अष्टावीस० के० खेत्ते ? लोग असंखे० भागे ।
एवं खेत्तं समत्तं । ६३६२. फोसणाणुगमेण दुविहो णिदेसो, ओघेण आदेसेण य.। तत्थ ओघेण अट्ठावीस-सत्तावीस. केव० खेत्तं फोसिदं ? लोग० असंखे० भागो, अह-चोद्दसभागा देसूणा, सबलोगो वा। छन्वीस० केवडियं खेत्तं फोसिदं ? सव्वलोगो। चउवीसएकवीस० केव० खे० फोसिदं ? लोगस्त असंखे० भागो, अह-चोदसभागा वा देसूणा । सेसप० खेत्तभंगो । एवं कायजोगि०-चत्तारिकसाय-अचक्खु०-भवसिद्धि०-आहारि त्ति वत्तव्यं । स्थानवाले जीवोंका क्षेत्र लोकके संख्यातवें भागप्रमाण है। तथा इनमें संभव शेष विभक्तिस्थानवाले जीवोंका क्षेत्र लोकके असंख्यातवेंभाग प्रमाण है। अभव्यों में छब्बीस विभक्तिस्थानवाले जीव कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? सर्व लोकमें रहते हैं ? अट्ठाईस विभक्तिस्थानवाले सासादन सम्यग्दृष्टि जीव कितने क्षेत्रमें रहते हैं ? लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्रमें रहते हैं।
विशेषार्थ-बादर वायुकायिक पर्याप्त और अभव्य जीवोंको छोड़ कर ऊपर जितने मार्गणास्थान गिनाये हैं उनमें जितने पद सम्भव हों उनकी अपेक्षा लोकका असंख्यातवां भागप्रमाण ही क्षेत्र प्राप्त होता है । किन्तु बादर वायुकायिक पर्याप्तकोंमें २६ विभक्तिस्थानवाले जीवोंका क्षेत्र लोकका संख्यातवां भाग प्रमाण होता है तथा अभव्योंमें २६ विभक्तिस्थान ही होता है और उनका वर्तमान क्षेत्र सब लोक है अतः २६ विभक्तिस्थानवाले अभव्योंका वर्तमान क्षेत्र सब लोक जानना चाहिये । ___ इस प्रकार क्षेत्रानुयोगद्वार समाप्त हुआ।
६३६२. स्पर्शानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है ओघनिर्देश और आदेशनिर्देश । उनमेंसे ओघनिर्देशकी अपेक्षा अट्ठाईस और सत्ताईस विभक्तिस्थानवाले जीवोने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग, कुछ कम आठ बटे चौदह भाग और सर्व लोक क्षेत्रका स्पर्श किया है। छब्बीस विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? सर्व लोक क्षेत्रका स्पर्श किया है। चौबीस और इक्कीस विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग और कुछ कम आठ बटे चौदह भाग क्षेत्रका स्पर्श किया है। शेष पदोंका स्पर्श क्षेत्रके समान जानना चाहिये । इसीप्रकार काययोगी, क्रोधादि चारों कषायवाले, अचक्षुदर्शनी, भव्य और आहारक जीवोंके कथन करना चाहिये।
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