Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे । पयडिविहत्ती २ . ___६३६४. तिरिक्ख० अठ्ठावीस-सत्तावीस० के० खेत्तं फोसिदं ? लोग० असंखे० भागो। सव्वलोगो वा । छब्बीसर ओघभंगो। चउवीस० के० खे० फोसिदं ? लोगस्स असंख० भागो, छ-चोहसभागा वा देसूणा । सेसप०खेत्तभंगो। पंचिंदियतिरिक्व-पंचिं० तिरि० पज-पंचिं०तिरि०जोणिणीसु अठ्ठावीस-सत्तावीस-छव्वीस० के० खे० फोसिदं ? लोगस्स असंखेभागो, सव्वलोगो वा । सेसप०तिरिक्वभंगो। णवरि, पचिं० तिरि० जोणिणीसु वावीस-एक्कवीसविहत्तिया णत्थि । पंचिं० तिरि० अपज्ज० अहावीस-सत्तावीस-छब्बीसवि० के खेत्तं फोसिदं ? लोग० असंखे० भागो, सव्वलोगो वा । एवं मणुसअपज० पंचिं० अपञ्ज-तसअपज०-बादर पुढवि०-आउ०तेउ०-पज० वत्तव्वं । मणुम-मणुसपजत्त-मणुसिणीसु अठ्ठावीस-सत्तावीस-छब्बीस.. नारकियोंका वर्तमान व अतीत कालीन स्पर्श लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण कहा है। कृतकृत्यवेदक सम्यग्दृष्टि मनुष्यभी नरकमें उत्पन्न होते हैं पर ऐसे जीव पहली पृथिवी तक हो जाते हैं। अतः नारकियोंमें २२ विभक्तिस्थानवाले जीवोंका वर्तमान और अतीत कालीन स्पर्श भी लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण ही प्राप्त होता है।
६३६४. तिथंचगतिमें तिथचोंमें अट्ठाईस और सत्ताईस विभकिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है। लोकके असंख्यातवें भाग क्षेत्रका और सर्वलोकका स्पर्श किया है। छब्बीस विभक्तिस्थानवालोंका स्पर्श ओघके समान है। चौबीस विभक्तिस्थानवालोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग क्षेत्रका तथा कुछ कम छह बटे चौदह भाग क्षेत्रका स्पर्श किया है। शेष पदोंका स्पर्श क्षेत्रके समान है।
पंचेन्द्रियतिर्यच, पंचेन्द्रियतिथंच पर्याप्त और पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिमतियों में अट्ठाईस, सत्ताईस और छब्बीस विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग तथा सर्वलोकक्षेत्रका स्पर्श किया है। शेष पदोंका स्पर्श सामान्यतिर्थश्चोंके समान है । इतनी विशेषता है कि पंचेन्द्रिय तिथंच योनिमतियों में बाईस और इक्कीस विभक्तिस्थान नहीं पाये जाते हैं।
विशेषार्थ-सामान्य तियंचोंके स्पर्शमें शेष पदसे २२ और २१ विभक्तिस्थानोंका ग्रहण करना चाहिये। शेष कथन सुगम है।
पंचेन्द्रिय तिथच लब्ध्यपर्याप्तकों में अट्ठाईस, सत्ताईस और छब्बीस विभक्तिस्थानवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्श किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग और सर्वलोक क्षेत्रका स्पर्श किया है। इसी प्रकार लब्ध्यपर्याप्त मनुष्य, पंचेन्द्रिय लब्ध्यपर्याप्त, त्रस लब्ध्यपर्याप्त, बादर पृथिवी कायिक पर्याप्त, बादर जलकायिकपर्याप्त और बादर अग्निकायिक पर्याप्त जीवोंके कहना चाहिये। ____सामान्य मनुष्य, पर्याप्त मनुष्य और सीवेदी. मनुष्योंमें अट्ठाईस, सत्ताईस और
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