Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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मा० २२
पया हिची अंतरं
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म्मतं घे तूण अठावीसविहतिओ होतॄण अंतोमुहुत्तमाच्छय पुगो अनंतापु० विसंजोएदूण चउवीसविहत्तीए आदि काढूण मिच्छत्तं गंतूणंतरिदो । तदो उवढपोग्गलपरिवहं ममिदूण अंतोमुहुत्ता बसेसे सिंज्झिदव्वये चि उवसमसम्मतं घेतूण अट्ठावीसविहतिओ होण जेण अनंताणुबंधिचक्कं विसंजोएदूण चउवीसविहत्तियत्तमुप्पा इदंतस्स दोहि अंतोमुहुतेहि ऊण-अद्धपोग्गलपरियमेत्तअंतरुवलंभादो । उवरि अण्णे वि अंतोमुडुत्ता अस्थि ते किण्ण गहिदा ? गहिदा चेव, किंतु तेसु सव्वेसु मेलिदेसु वि अंतोमुहुत्तं चेव होदि चि वैहि व अंतोमुहुत्तेहि अद्धपोग्गलपरियट्टमूणमिदि भणिदं ।
* छव्वीसविहत्तीए केवडियमंतरं ? जहण्णेण पलिदो० असंखे० भागो । ३१२. कुदो ? जो मिच्छादिट्ठी छब्वी सविहत्तिओ होदूणच्छिदो, पुणो उवसमसम्मत्तं तूण अट्ठावीसविहचिओ होण अंतरिदो, मिच्छत्तं गंतूण सव्वजहण्णेण पलिंदोवमस्स उपशम् सम्यक्त्वको ग्रहण करके अट्ठाईस प्रकृतिकस्थानकी सत्तावाला हुआ और अन्तर्मुहूर्त वहाँ रह कर तथा अनन्तानुबन्धीकी विसंयोजना करके उसने चौबीस प्रकृतिकस्थानका प्रारंभ किया। अनन्तर मिध्यात्वमें जाकर अट्ठाईस प्रकृतिकस्थान वाला होकर उसने चौबीस प्रकृतिकस्थानका अन्तर किया । तदनन्तर उपार्धपुद्गल परिवर्तन कालतक संसारमें परिभ्रमण करके सिद्ध होने के लिये जब अन्तर्मुहूर्त काल शेष रहा तब वह उपशम सम्यक्त्वको ग्रहण करके अट्ठाईस प्रकृतिक स्थानवाला हुआ । पुनः चूँकि वह इतना काल जानेपर अनन्तानुबन्धी चरक विसंयोजना करके चौबीस प्रकृतिकस्थानको उत्पन्न करता है, इसलिये उसके चौबीस प्रकृतिकस्थानका अन्तर दो अन्तर्मुहूर्त कम अर्धपुद्गल परिवर्तन प्रमाण पाया जाता है ।
शंका- ऊपर जिन दो अन्तर्मुहूर्तों को कम किया है उनके अतिरिक्त अर्धपुद्गल परिवर्तन प्रमाण कालमेंसे कम करने योग्य और भी अन्तर्मुहूर्त हैं, उन्हें यहाँ क्यों नहीं ग्रहण किया ? समाधान - कम करने योग्य शेष सभी अन्तर्मुहूर्तोंका यहाँ ग्रहण कर ही लिया है। किन्तु पुनः उपशम सम्यक्त्वकी प्राप्तिसे लेकर मोक्ष जाने तकके उन सब अन्तर्मुहूतों के मिलाने पर भी एक ही अन्तर्मुहूर्त होता है इसलिये सभी अन्तर्मुहूर्त को अलग से न गिना कर चौबीस प्रकृतिकस्थानका अन्तर दो अन्तर्मुहूर्त कम अर्धपुदल परिवर्तन काल होता है ऐसा कहा है।
* छब्बीस प्रकृतिकस्थानका कितना अन्तर है ? जघन्य अन्तर पल्योपमके असंख्यातवें भाग प्रमाण है ।
३३१२. शंका-छब्बीस प्रकृतिकस्थानका जघन्य अन्तर पल्योपमके असंख्यातवें भाग प्रमाण क्यों है ?
समाधान - छब्बीस प्रकृतिवाला जो मिध्यादृष्टि जीव उपशम सम्यक्त्वको ग्रहण करके और अट्ठाईस प्रकृतिवाला होकर छब्बीस प्रकृतिकस्थान के अन्तरको प्राप्त हुआ । अनन्तर
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