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जयचक्लासहिदे कसायपाहुरे . [पयडिविहत्ती २ . * एवं दोण्हं तिण्हं चउण्हं पंचण्हं एकारसण्हं बारसह तेरसहं एकवीसाए बावीसाए तेवीसाए बिहत्तियाणं ।
६३०६.जहा एक्किस्से वित्तियाणं पत्थि अंतरं तहा एदेसि पि, खवणाए उप्पण्णत्तं पडि विसेसाभावादो। ___ * चउवीसाए विहत्तियस्स केवडियमंतरं? जह० अंतोमुहुत्तं ।
६३१०. कुदो ? अष्टावीससंतकम्मियसम्माइटिस्स अणंताणु० चउकं विसंजोइय चउवीसविहत्तीए आदि कादण अंतोमुहुत्तमच्छिय मिच्छत्तं गंतूण अठ्ठावीसविहत्तिओ होदण अंतोमुहुत्तमंतरिय पुणो सम्मत्तं घेत्तूण अणंताणु० विसंजोइय चउवीसविहत्तियभावमुवगयस्स चउवीसविहत्तीए अष्ठावीसविहत्तिएहि अंतोमुहुत्तमेतरुवलंभादो।
* उकस्सेण उवट्टपोग्गलपरियह देसूणमद्धपोग्गलपरियह । ६३११. कुदो? अद्धपोग्गलपरियट्टस्स आदिसमए अणादियमिच्छादिही उवसमस
* इसीप्रकार दो, तीन, चार, पाँच, ग्यारह, बारह, तेरह, इक्कीस, बाईस और तेईस प्रकृतिकस्थानोंका भी अन्तर नहीं होता है।
६३०६. जिसप्रकार क्षपकश्रेणीमें उत्पन्न होनेके कारण एक प्रकृतिकस्थानका अन्तर नहीं होता है उसीप्रकार ये दो आदि प्रकृतिकस्थान भी क्षपकश्रेणीमें ही उत्पन्न होते हैं, अत: एक प्रकृतिकस्थानसे इनमें कोई विशेषता नहीं है, और इसलिये इन दो आदि स्थानोंका भी अन्तर नहीं पाया जाता है।
* चौबीस प्रकृतिकस्थानका अन्तर कितना है । जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त है। ६३१०. शंका-चौबीस प्रकृतिकस्थानका जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त क्यों है ?
समाधान-कोई एक सम्यग्दृष्टि अट्ठाईस प्रकृतियोंकी सत्तावाला है। उसने अनन्तानुबन्धीकी विसंयोजना करके चौबीस प्रकृतिकस्थानका प्रारंभ किया। पुनः वह सम्यक्त्व दशामें अन्तर्मुहूर्त रह कर मिथ्यात्वमें गया और अट्ठाईस प्रकृतियोंकी सत्ता वाला हुआ उसके एक अन्तर्मुहूर्त तक चौबीस प्रकृतिकस्थान नहीं रहा। पुनः अन्तर्मुहूर्तके बाद सम्यक्त्वको प्राप्त करके और अनन्तानुबन्धीकी विसंयोजना करके चौबीस प्रकृतिकस्थानको प्राप्त हो गया। इसप्रकार पूर्वोक्त जीवके अट्ठाईस प्रकृतिकस्थानकी अपेक्षा चौबीस प्रकृतिकस्थानका अन्तर्मुहूर्त मात्र अन्तर पाया जाता है। __* चौबीस प्रकृतिकस्थानका उत्कृष्ट अन्तर उपार्धपुद्गल परिवर्तन अर्थात् देशोन अर्धपुद्गल परिवर्तन प्रमाण है।
६३११. शंका-चौबीस प्रकृतिकस्थानका उत्कृष्ट अन्तर देशोन अर्धपुद्गल परिवर्तन प्रमाण कैसे है ?
समाधान-कोई एक अनादि मिथ्यादृष्टि जीव अर्धपुद्गल परिवर्तन कालके प्रथम समयमें "
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