Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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जैयधवलासहिदे कसायपाहुडे .. [पयडिविहन्नी २ ६३०२. वेदाणुवादेण इत्थि० अहावीसविह० के. १ जह० एगसमओ, उक्क० पणवण्णपलिदोवमाणि सादिरेयाणि । सत्तावीसवि० ओघभंगो । छव्वीसविह० के० १ जह० एगसमओ, उक्क० सगहिदी । चउवीसविह० जह० एगसमओ। कुदो ? उवसमसेढीदो ओदरिय सवेदी होदण विदियसमए कालं कादण देवेसुप्पण्णस्स एगसमयकालुवलंभादो। उक्क०पणवण्णपलिदोवमाणि देसूणाणि । तेवीस-बावीस-तेरसबारसवि. ओघभंगो । गवरि, बारसविह० एयसमओ णत्थि । एकवीसविह० के० ? जह० एगसमओ, उक्क० पुव्वकोडी देसूणा । पुरिसवेदे अट्ठावीस-चउवीसहै। औदारिक मिश्रकाययोगके समान वैक्रियिकमिश्रकाययोगमें सम्भव विभक्तिस्थानोंका काल होता है, उससे इसमें कोई विशेषता नहीं है। आहारकमिश्रकाययोगका जघन्य और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त होता है अतः इसमें सम्भव २८, २४ और २१ विभक्तिस्थानोंका जघन्य और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त कहा है। कामणकाययोगका जघन्य काल एक समय है अतः इसमें सम्भव २८, २७, २६, २४ २२ और २१ विभक्तिस्थानोंका जघन्य काल एक समय कहा है। यहां २८, २७, २६ और २२ विभक्तिस्थानोंका जघन्य काल एक समय अन्य प्रकारसे भी बन सकता है सो विचार कर कथन कर लेना चाहिये । तथा निष्कुट क्षेत्रके प्रति गमन करने वाले जीवोंके ही तीन विग्रह होते हैं और ऐसे जीव मिध्यादृष्टि ही होते हैं। तथा मिथ्यादृष्टि गुणस्थानमें २८, २७ और २६ ये तीन विभक्तिस्थान ही सम्भव है अतः कार्मणकाययोगमें इन तीनोंका उत्कृष्ट काल तीन समय कहा । तथा २४, २२ और २१ विभक्तिस्थानवाले जीव यदि मरते हैं तो अधिकसे अधिक दो विग्रह ही कर लेते हैं अतः कार्मणकाययोगमें इनका दो समय प्रमाण उत्कृष्ट काल कहा है।
६३०२. वेदमार्गणाके अनुवादसे स्त्रीवेदमें अट्ठाईस प्रकृतिस्थानका कितना काल है ? जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल साधिक पचपन पल्य है । सत्ताईस प्रकृतिक स्थानका काल ओघके समान है। छब्बीस प्रकृतिक स्थानका काल कितना है ? जघन्य काल एक समय उत्कृष्ट काल अपनी स्थितिप्रमाण है। चौबीस प्रकृतिक स्थानका जघन्य काल एक समय है।
शंका-स्त्रीवेदमें चौबीस प्रकृतिक स्थानका जघन्य काल एक समय क्यों है ?
समाधान-क्योंकि जो उपशमश्रेणीसे उतरकर वेद सहित हुआ और दूसरे समयमें मर कर देवोंमें उत्पन्न हुआ उस स्त्रीवेदीके चौबीस प्रकृतिकस्थानका जघन्य काल एक समय पाया जाता है। स्त्रीवेदमें चौबीस प्रकृतिकस्थानका उत्कृष्टकाल देशोन पचपन पल्य है। तेईस, बाईस, तेरह और बारह प्रकृतिक स्थानका काल ओघके समान है। इतनी विशेषता है कि बारह प्रकृतिकस्थानका. जघन्यकाल एक समय नहीं है। इक्कीस प्रकृतिक स्थानका काल कितना है ? जघन्यकाल एक समय और उत्कृष्ट काल देशोन पूर्वकोटिप्रमाण है।
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