Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
View full book text
________________
गा० २२ ] उत्तरपयडिविहत्तीए अप्पाबहुश्राणुगमो
१८१ भागे हिदे जं भागलद्धं सो गुणगारो। मिच्छत्तस्स विहत्तिया विसेसाहिया। के० मेत्तेण ? चउवीसविहत्तियमेत्तेण । अट्टक० विह. विसेसा०। केन्मेत्तो? तेवीस-बावीसइगवीसविहत्तियमेत्तो। णवूस० विह० विसेसा । के० मेत्तो ? तेरसविहत्तियमत्तो । इस्थिवेद० विह. विसे । के० मत्तो ? बारसविहत्तियमेत्तो। छण्णोकसाय० विह० विसे । के० मेत्तो? एक्कारसविहत्तियमेत्तो । पुरिस० विह० विसे । के० मेत्तो ? पंचविहत्तियमेत्तो। कोधसंजल० विह० विसेसा० । के० मेत्तो ? चत्तारिवहत्तियमेत्तो। माणसंज. विह० विसे । के० मत्तो ? तिण्णिविहत्तियमेत्तो। संज. विह. विसे० के० मेत्तो ? दोण्हं विहत्तियमत्तो । लोभसंजल० विह० विसे० । के० मत्तो ? एगविहत्तियमेत्तो । सम्मामि० अविह० विसेसा० । के० मेत्तो ? सम्मामिच्छत्तविहत्तियआवे उतना गुणकारका प्रमाण है । अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी विभक्तिवाले जीवोंसे मिथ्यात्वकी विभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं। विशेषका प्रमाण कितना है ? चौबीस प्रकृतियोंकी विभक्तिवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना है । मिथ्यात्वकी विभक्तिवाले जीवोंसे आठ कषायोंकी विभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं। विशेषका प्रमाण कितना है ? तेईस, बाईस और इक्कीस विभक्तिस्थानवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना है । आठ कषायोंकी विभक्तिवाले जीवोंसे नपुंसकवेदकी विभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं। विशेषका प्रमाण कितना है ? तेरह प्रकृतियोंकी विभक्तिवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना है । नपुंसकवेदकी विभक्तिवाले जीवोंसे स्त्रीवेदकी विभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं। विशेषका प्रमाण कितना है ? बारह प्रकृतियोंकी विभक्तिवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना है । स्त्रीवेदकी विभक्तिवाले जीवोंसे बह नोकषायोंकी विभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं। विशेषका प्रमाण कितना है ? ग्यारह प्रकृतियोंकी विभक्तिवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना है । छह नोकषायोंकी विभक्तिवाले जीवोंसे पुरुषवेदकी विभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं । विशेषका प्रमाण कितना है ? पांच प्रकृतियोंकी विभक्तिवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना है । पुरुषवेदकी विभक्तिवाले जीवोंसे क्रोधसंज्वलनकी विभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं । विशेषका प्रमाण कितना है ? चार प्रकृतियोंकी विभक्तिवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना है। क्रोधसंज्वलनकी विभक्तिवाले जीवोंसे मानसंज्वलनकी विभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं। विशेषका प्रमाण कितना है ? तीन प्रकृतियोंकी विभक्तिवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना है । मानसंज्वलनकी विभक्तिवाले जीवोंसे मायासंज्वलनकी विभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं। विशेषका प्रमाण कितना है ? दो प्रकृतियोंकी विभक्तिवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना है । मायासंज्वलनकी विभक्तिवाले जीवोंसे लोभसंज्वलनकी विभक्तिवाले जीव विशेष अधिक है। विशेषका ममाण कितना है ? एकविभक्तिस्थानवाले जीवोंका जितना प्रमाण है इतना
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org