Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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जयपपलासहिदे कसायपाहुरे ... [पडिपिरती २ मत्थाणं परवयं ? ण, दिवायरम्स अंधयारविणासणदुवारेण घडादिविविहत्वपयासयस्सुवलंभादो।
* घउवीसाए विहत्तिओ को होदि ? अणंताणुबंषिविसंजोइदे सम्मा.. दिही वा सम्मामिच्छादिट्ठी वा अण्णयरो।
६२४५. अहावीससंतकम्मिएण अणंताणुबंधीविसंजोइदे चउवीसविहत्तिओ होदि । को विसंजोअओ? सम्मादिट्ठी । मिच्छाइट्ठीण विसंजोएदि ति कुदो णबदे ? सम्मादिती वा सम्मामिच्छादिही वा चउवीसविहत्तिओ होदि ति एदम्हादो सुत्तादो गब्बदे । अणंताणुबंधिविसंजोइदसम्मादिष्टिम्हि मिच्छत्तं पडिवण्णे चउवीसविहत्ती किण्ण होदि । ण, मिच्छत्तं पडिवण्णपढमसमए चेव चारित्तमोहकम्मक्खंधेसु अणंताणुबंधिसरूवेण परिणदेसु अहावीसपयडिसंतुप्पत्तीदो । सम्मामिच्छाइही अणंताणुवंधिचउकं ण
समाधान-इसी सूत्रसे जाना जाता है। शंका-एक सूत्र दो अर्थोंका कथन कैसे कर सकता है ?
समाधान-नहीं, क्योंकि सूर्य अन्धकारका विनाश करके उसके द्वारा घटादि नाना पदार्थों का प्रकाशन करता हुआ देखा जाता है। इससे प्रतीत होता है कि एक सूत्र दो अर्थोंका कथन कर सकता है। ___ * चौबीस प्रकृतिक स्थानका स्वामी कौन होता है ? अनन्तानुबन्धीकी विसंयोजना करदेनेपर किसी भी गतिका सम्यग्दृष्टि या सम्यग्मिध्यादृष्टि जीव चौबीस प्रकृतिक स्थानका स्वामी होता है। __६२४५. अट्ठाईस प्रकृतियोंकी सत्ता वाला जीव अनन्तानुबन्धीकी विसंयोजना कर देने पर चौबीस प्रकृतियोंकी सत्ता वाला होता है।
शंका-विसंयोजना कौन करता है ? समाधान-सम्यग्दृष्टि जीव विसंयोजना करता है। शंका-मिथ्यादृष्टि जीव विसंयोजना नहीं करता यह कैसे जाना जाता है?
समाधान-सम्यग्दृष्टि या सम्यगमिथ्यादृष्टि जीव चौबीस प्रकृतिक स्थानका स्वामी है' इस सूत्रसे जाना जाता है कि मिथ्यादृष्टि जीव अनन्तानुबन्धीकी विसंयोजना नहीं करता है।
शंका-अनन्तानुबन्धीकी विसंयोजना करनेवाले सम्यग्दृष्टि जीवके मिथ्यात्वको प्राप्त होजानेपर मिथ्यादृष्टि जीव चौबीस प्रकृतिक स्यानका स्वामी क्यों नहीं होता है?
समाधान-नहीं, क्योंकि ऐसे जीवके मिथ्यात्वको प्राप्त होनेके प्रथम समय में ही चारित्रमोहनीयके कर्मस्कन्ध अनन्तानुबन्धीरूपसे परिणत हो जाते हैं अतः उसके चौबीस प्रकृतियोंकी सत्ता न रहकर अट्ठाईस प्रकृतियोंकी ही सत्ता पाई जाती है।
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