Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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गौ ० २३ ]
पयडिट्ठाणविहत्तीए कालो
२४३
* पंचहं विहत्तिओ केवचिरं कालादो ? जहण्णुक्कस्सेण दोआवलियाओ समयूणाओ ।
९ २७३. कुदो ? कोधसंजलणपुरिसवेदोदएण क्खवगसेटिं चडिदस्स सवेदिय दुचरिमसमए छण्णोकसाएहि सह खविदपुरिसवेदचिराणसंतस्स सवेदिय चरिमसमए समयूणदोआवलियमेत पुरिसवेदणवकसमयपबद्धाणमुवलंभादो । चिराणसंतसमयपनद्धाणं व णवकबंध सव्वसमयपबद्धाणमेक्कसराहेण विणासो किण्ण होदि ? ण, बंधावलियाए अहकंताए पुणो संकमणआवलिय चरिमसमए सव्वणवकबंधाणं णिस्संतभावुवलंभादो । ते च समयूणदोआवलियणवकसमयपबद्धा कमेणेव परसरूवेण गच्छंति बंधावलियसंकमणावलियचरिमसमयाणं सव्वसमयपबद्ध संबंधियाणमकमेण समत्तीए अभावादो ।
* पांच प्रकृतिक स्थानका कितना काल है ? जघन्य और उत्कृष्ट काल एक समय कम दो आवलीप्रमाण है ।
१२७३. शंका- पांच प्रकृतिक स्थानका एक समय कम दो आवलीप्रमाण काल क्यों है ?
समाधान - क्योंकि जो क्रोधसंज्वलन और पुरुषवेदके उदयके साथ क्षपकश्रेणीपर चढ़ा है, अतएव जिसने सवेदभागके द्विचरम समय में छह नोकषायोंके साथ पुरुषवेदके सत्ता में स्थित पुराने कर्मोंका नाश कर दिया है, उसके सवेदभागके चरम समय में एक समय कम दो आवली प्रमाण कालतक स्थित रहनेवाले पुरुषवेदसंबन्धी नवक समयप्रबद्ध पाये जाते हैं। अतः पांच प्रकृतिक स्थानका जघन्य और उत्कृष्ट काल एक समय कम दो आवली होता है। शंका- पुराने सत्कर्मोंके समान सम्पूर्ण नवक समयप्रबद्धोंका उसीसमय एकसाथ नाश क्यों नहीं हो जाता ?
समाधान- नहीं, क्योंकि बन्धावलिके व्यतीत हो जानेके अनन्तर संक्रमणावलिके अन्तिम समय में सम्पूर्ण नवक समयप्रबद्धों का विनाश देखा जाता है, इसलिये पुराने सत्कर्मो के साथ नवक समयप्रबद्धोंका नाश नहीं होता ।
तथा एक समय कम दो आवलीप्रमाण वे नवक समयप्रबद्ध क्रमसे ही परप्रकृतिरूपसे संक्रान्त होते हैं, क्योंकि सम्पूर्ण समयप्रबद्धसम्बन्धी बन्धावलि और संक्रमणावलिके अन्तिम समयकी एकसाथ समाप्ति नहीं हो सकती ।
विशेषार्थ - यह तो हम पहले ही बतला आये हैं कि स्त्रीवेदके उदयके साथ क्षपक श्रेणीपर चढ़े हुए जीवके छह नोकषायोंकी क्षपणाके साथ पुरुषवेदका क्षय हो जाता है अतः ऐसे जीव के पांच विभक्तिस्थान नहीं होता । पर जो पुरुषवेद या नपुंसकवेदके उदयके साथ क्षपकश्रेणीपर चढ़ता है उसके छह नोकषायोंके क्षपणाके कालमें पुरुषवेदका क्षयतो होता है पर ऐसे जीव के पुरुषवेदके दो समयकम दो आवलीप्रमाण नवकबन्ध समयप्रबद्धों को अतः यह जीव दो समय कम दो आबली काल तक
छोड़कर शेषका ही क्षय होता है ।
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