Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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गा० २२ ] उत्तरपयडिविहत्तीए अप्पाबहुप्राणुगमो
१७६ पज्जत्तएसु सव्वत्थोवा सम्मत्त-सम्मामिच्छत्ताणं विहत्तिया, अविहत्तिया असंखेनगुणा।
६१६०.मणुसपज्जत्त-मणुसिणीसु सव्वत्थोवा अठ्ठावीसंपयडीणं अविह०, विह. संखेजगुणा। आणदादि जाव सव्वाहेत्ति सव्वत्थोवा सत्तपयडीणं अविह०, विह० संखेजगुणा । वेउव्विय०-वेउव्वियमिस्स-तेउ०-पम्म० देवभंगो । एवं जाणिदण णेदव्वं जाव अणाहारएत्ति ।
६१९१.परत्थाणप्पाबहुगाणुगमेण दुविहो णिद्देसोओघेण आदेसेण य। तत्थ ओघेण सम्वत्थोवा सम्मत्तस्स विहत्तिया, सम्मामिच्छत्तस्स विहत्तिया विसेसाहिया। केत्तियमेत्तो विसेसो ? वावीसविहत्तिएणूणसत्तावीसविहत्तियमेत्तो । लोहसंजलणस्स अविहत्तिया अणंतगुणा । को गुणगारो ? अभवसिद्धिएहि अणंतगुणो सिद्धाणमसंखञ्जदिभागो । को पडि• ? सम्मामि० विहत्ति०पडिभागो । मायासंज. अविहत्तिया विसेसाहिया । केत्तियमेत्तो विसेसो ? लोहक्खवगमेत्तो । माणसंजल० अविह० विसेसा । भक्तिवाले जीव असंख्यातगुणे हैं।
६१६०. मनुष्य पर्याप्त और मनुष्यनियोंमें अट्ठाईस प्रकृतियोंकी अविभक्तिवाले जीव सबसे थोड़े हैं। तथा इनकी विभक्तिवाले जीव संख्यातगुणे हैं। आनत स्वर्गसे लेकर सर्वार्थसिद्धि तक मिथ्यात्व आदि सात प्रकृतियोंकी अविभक्तिवाले जीव सबसे थोड़े हैं। तथा इनकी विभक्तिवाले जीव संख्यातगुणे हैं । वैक्रियिककाययोगी, वैक्रियिकमिश्रकाययोगी पीतलेश्यावाले और पद्मलेश्यावाले जीवोंमें सामान्य देवोंके समान अल्पबहुत्व कहना चाहिये । इसी प्रकार जानकर अनाहारक मार्गणा तक कहना चाहिये।
६१६१. परस्थान अल्पबहुत्वानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-ओघनिर्देश और आदेशनिर्देश । उनमेंसे ओघनिर्देशकी अपेक्षा सम्यक्प्रकृतिकी विभक्तिवाले जीव सबसे थोड़े हैं । इनसे सम्यग्मिथ्यात्वकी विभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं। विशेषका प्रमाण क्या है ? सत्ताईस प्रकृतियोंकी विभक्तिवाले जीवोंके प्रमाणमेंसे बाईस प्रकृतियोंकी विभक्तिवाले जीवोंका प्रमाण कम कर देनेपर जो प्रमाण शेष रहे उतना है। सम्यग्मिथ्यात्वकी विभक्तिवाले जीवोंसे लोभ संज्वलनकी अविभक्तिवाले जीव अनन्तगुणे हैं। गुणकारका प्रमाण क्या है ? अभव्योंसे अनन्तगुणा या सिद्धोंके असंख्यातवें भागप्रमाण है। प्रतिभागका प्रमाण क्या है ? सम्यग्मिथ्यात्वकी विभक्तिवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना प्रतिभागका प्रमाण है। लोभ संज्वलनकी अविभक्तिवाले जीवोंसे मायासंज्वलनकी अविभक्तिवाले जीव विशेष अधिकहैं । विशेषका प्रमाण क्या है ? लोभ संज्वलनकी क्षपणा करने वाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतना विशेषका प्रमाण है। मायासंज्वलनकी अविभक्तिवाले जीवोंसे मानसंज्वलनकी अविभक्तिवाले जीव विशेष अधिक हैं। विशेषका प्रमाण कितना है ? मायासंज्वलनकी क्षपणा करनेवाले जीवोंका जितना प्रमाण
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