Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
View full book text
________________
१६२
जयघवला सहिदे कसायपाहुडे
[ पयडिविहती २
०
विह· अनंता । अवगदवेद० चउवीसंपयडीणं विह० के० ? संखेजा । अविह० के० १ अणता । एवमकसाय० वत्तव्वं । कोधकसाय० कायजोगिभंगो । णवरि, चत्तारि - संजलण० विह० के० ? अनंता । एवं माण ० । णवरि तिण्णिसंजलण० विह अनंता । एवं माय, णवरि दोण्हं संजलणाणं विह० अणंता । एवं लोभ०, णवरि लोभविह० के० ? अनंता । सुहुमसांपराय० दंसणतिय एक्कारसक० णवणोकसाय ० विह० अविह० ति० ९ संखेज्जा । लोभसंजलण० विह० के० ९ संखेजा । जहाक्खाद० चउवीसंपयडीणं विह० अविह० संखेज्जा | संजदासंजदेसु मिच्छत्त-सम्मत्तसम्मामि० विह० के० ? असंखेज्जा । अविह० के० ? संखेज्जा । अणंताणु० चउक० विह० अवि० के० १ असंखेज्जा । बारसक०-णवणोक० विह० के० १ असंखेज्जा । अभव्व ० छव्वीसंपय० वि० के० ? अनंता । सम्मादिट्टि ० - खइय० सव्वपय० विह० के० १ असंखेज्जा । अविह० के० १ अनंता । वेदयसम्मत्त० मिच्छत्त सम्मामि० विह० संख्यात हैं । तथा अविभक्तिवाले कितने जीव हैं ? अनन्त हैं । अपगतवेदी जीवोंके समान अकषायी जीवोंका परिमाण कहना चाहिये ।
क्रोध कषायी जीवोंका परिमाण काययोगी जीवोंके समान है । इतनी विशेषता है कि क्रोधकषायी जीवोंमें चार संज्वलनकी विभक्तिवाले कितने जीव हैं ? अनन्त हैं । इसीप्रकार मानकषायी जीवोंका परिमाण कहना चाहिये । इतनी विशेषता है कि मानादि तीन संज्वलनकी विभक्तिवाले जीव अनन्त हैं । इसीप्रकार मायाकषायी जीवोंका परिमाण कहना चाहिये । इतनी विशेषता है कि मायाकषायी जीवों में मायादि दो संज्वलनकी विभक्तिवाले जीव अनन्त हैं । इसीप्रकार लोभकषायी जीवों में परिमाण कहना चाहिये । इतनी विशेषता है कि लोभकषायी जीवोंमें लोभसंज्वलनवाले जीव कितने हैं ? अनन्त हैं ।
सूक्ष्मसां परायिक संयत जीवोंमें तीन दर्शनमोहनीय, ग्यारह कषाय और नौ नोकषायोंकी विभक्तिवाले तथा अविभक्तिवाले कितने जीव हैं ? संख्यात हैं । लोभ संज्वलनकी विभक्तिवाले कितने जीव हैं ? संख्यात हैं । यथाख्यातसंयत जीवों में चौबीस प्रकृतियोंकी विभक्तिवाले और अविभक्तिवाले जीव संख्यात हैं । संयतासंयत जीवोंमें मिध्यात्व, सम्यक्प्रकृति और सम्यग्मिध्यात्वकी विभक्तिवाले कितने जीव हैं ? असंख्यात हैं । अविभक्तिवाले कितने जीव हैं ? संख्यात हैं । अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी विभक्ति और अविभक्तिवाले कितने जीव हैं ? असंख्यात हैं । बारह कषाय और नौ नोकषायोंकी विभक्ति - वाले कितने जीव हैं ? असंख्यात हैं ।
अभव्यों में छब्बीस प्रकृतियोंकी विभक्तिवाले कितने जीव हैं ? अनन्त हैं । सम्यग्ट और क्षायिक सम्यग्दृष्टि जीवोंमें उनके संभव सभी प्रकृतियोंकी विभक्तिवाले कितने जीव हैं ? असंख्यात हैं । अविभक्तिवाले कितने जीव हैं ? अनन्त हैं । वेदकसम्यग्दृष्टि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org