Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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गा० २२ ] उत्तरपयडिविहत्तीए परिमाणाणुगमो
६१६७. अभव्यसिद्धि० छव्वीसंपयडि० भागाभागो णत्थि । वेदगसम्माइ० मिच्छत्त-सम्मामि०-अणंताणु चउक्क विह० सव्वजी० केव० १ असंखेज्जा भागा। अविह० सव्वजी० केव० ? असंखेज्जदिभागो । सेसाणं णत्थि भागाभागो । उवसम० अणंताणु चउक्क० विह० सव्वजी० केव० १ असंखेज्जा भागा । अविह० सव्वजी० के० १ असंखेज्जदिभागो। सेसाणं णत्थि भागाभागो। एवं सम्मामि० वत्तव्वं । सासण. अहावीसपयडीणं णत्थि भागाभागो।
एवं भागाभागो समत्तो। ___ १६८. परिमाणाणुगमेण दुविहो णिद्देसो ओघेण आदेसेण य । तत्थ ओघेण छव्वीसंपय० विह० अविह० केत्तिया? अणंता। सम्मत्त०-सम्मामि० विह० केत्ति ?
६ १६७.अभव्य जीवोंके छब्बीस प्रकृतियोंका ही सत्त्व है इसलिये भागाभाग नहीं है। वेदकसम्यग्दृष्टि जीवोंमें मिथ्यात्व, सम्यगमिथ्यात्व और अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी विभक्तिवाले जीव सब वेदकसम्यग्दृष्टि जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? असंख्यात बहुभागप्रमाण हैं। तथा अविभक्तिवाले वेदकसम्यग्दृष्टि जीव सब वेदकसम्यग्दृष्टि जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। वेदकसम्यग्दृष्टि जीवोंके शेष प्रकृतियोंकी अपेक्षा भागाभाग नहीं है। उपशमसम्यग्दृष्टि जीवोंमें अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी विभक्तिवाले जीव सब उपशमसम्यग्दृष्टि जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? असंख्यात वहुभागप्रमाण हैं। तथा अविभक्तिवाले उपशमसम्यग्दृष्टि जीव सब उपशमसम्यग्दृष्टि जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। उपशमसम्यग्दृष्टि जीवोंके शेष प्रकृतियोंकी अपेक्षा भागाभाग नहीं है। उपशमसम्यग्दृष्टि जीवोंके समान सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवोंके भागाभाग कहना चाहिये । सब सासादन सम्यग्दृष्टि जीवोंके अट्ठाईस प्रकृतियोंकी ही सत्ता है इसलिये भागाभाग नहीं है।
विशेषार्थ-अभव्योंमें सभीके छब्बीस प्रकृतियां ही पाई जाती हैं, अत: वहां भागाभाग नहीं है। वेदकसम्यग्दृष्टियोंके अनन्तानुबन्धी चतुष्क, मिथ्यात्व और सम्यगमिध्यात्वका सत्त्व और असत्त्व दोनों सम्भव हैं। उपशमसम्यग्दृष्टि और सम्यगमिथ्याहष्टियोंके अनन्तानुबन्धी चतुष्कका सत्त्व और असत्त्व दोनों सम्भव हैं, अतः इनके इनकी अपेक्षा भागाभाग कहा है। सब सासादनसम्यग्दृष्टियोंके सभी प्रकृतियोंका सत्त्व होता है, अतः भागाभाग नहीं होता।
इसप्रकार भागाभाग अनुयोगद्वार समाप्त हुआ।
३१६८. परिमाणानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-ओघनिर्देश और आदेशनिर्देश । उनमेंसे ओघकी अपेक्षा छब्बीस प्रकृतियोंकी विभक्ति और अविभक्ति वाले जीव कितने हैं १ अनन्त है ? सम्यकप्रकृति और सम्यग्मिध्यात्वकी विभक्तिवाले जीव कितने हैं?
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