Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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गां० २२ उत्तरपयडिविहत्तीए मंगविचो
१४६ अविहत्तिया, सिया अविहत्तिया च विहत्तिओ च, सिया अविहत्तिया च विहत्तिया च एवं तिण्णि भंगा।
$ १५८. कसायाणुवादेण कोधस्स पुरिसभंगो। णवरि, पुरिस० बेमणभंगो। एवं माणक० । णवरि कोध० बेमणभंगो। एवं मायक० । णवरि माण० बेमणभंगो। एवं लोभ० । णवरि माया० बेमणभंगो । एवं सामाइयच्छेदो० । अकसाय० अवगदवेदभंगो। एवं जहाक्खाद० वत्तव्वं । सुहुमसांपराय० एकारसक०-णवणोकसाय-मिच्छत्तसम्मत-सम्मामिच्छत्ताणं अट्ठभंगा । तं जहा, सिया अविहत्तिओ, सिया विहत्तिओ, सिया अविहत्तिया, सिया विहत्तिया, सिया अविहत्तिओ च विहत्तिओ च, सिया अविहत्तिओ च विहत्तिया च, सिया अविहत्तिया च विहत्तिओ च, सिया अविहत्तिया च विहत्तिया चेदि । लोभसंजलण सिया विहत्तिओ, सिया विहत्तिया । अविभक्तिवाले और अनेक जीव विभक्तिवाले हैं ३ । इसप्रकार तीन भंग होते हैं।
६१५८. कषायमार्गणाके अनुवादसे क्रोधकषायी जीवोंके भंग पुरुषवेदी जीवोंके समान होते हैं। इतनी विशेषता है कि क्रोधकषायीके पुरुषवेदकी अपेक्षा असत्य और उभय मनो. योगीके समान तीन भंग होते हैं। इसीप्रकार मानकषायी जीवोंके कथन करना चाहिये। इतनी विशेषता है कि मानकषायीके क्रोधकी अपेक्षा असत्य और उभय मनोयोगीके समान तीन भंग होते हैं। इसीप्रकार मायाकषायी जीवोंके कथन करना चाहिये । इतनी विशेपता है कि मायाकषायी जीवोंके मानकषायकी अपेक्षा असत्य और उभय मनोयोगीके समान तीन भंग होते हैं। इसीप्रकार लोभकषायी जीवोंके कथन करना चाहिये । इतनी विशेषता है कि लोभकषायी जीवोंके मायाकषायकी अपेक्षा असत्य और उभय मनोयोगीके समान तीन भंग होते हैं। इसीप्रकार सामायिक संयत और छेदोपस्थापना संयत जीवोंके कथन करना चाहिये। अकषायिक जीवोंके अपगतवैदियोंके समान कथन करना चाहिये । तथा इसीप्रकार यथाख्यात संयत जीवोंके कहना चाहिये।।
सूक्ष्मसांपरायिक संयत जीवोंके अप्रत्याख्यानावरण क्रोध आदि ग्यारह कषाय, नौ नोकषाय, मिथ्यात्व, सम्यक्प्रकृति और सम्यग्मिथ्यात्वकी अपेक्षा आठ भंग होते हैं। वे इसप्रकार हैं-कदाचित् एक जीव अविभक्तिवाला है १। कदाचित् एक जीव विभक्तिवाला है २। कदाचित् अनेक जीव अविभक्तिवाले हैं ३॥ कदाचित् अनेक जीव विभक्तिवाले हैं। कदाचित् एक जीव अविभक्तिवाला और एक जीव विभक्तिवाला है ५ । कदाचित् एक जीव अविभक्तिवाला और अनेक जीव विभक्तिवाले हैं ६॥ कदाचित् अनेक जीव अविभक्तिवाले और एक जीव विभक्तिवाला है ७। कदाचित् अनेक जीव अविभक्तिवाले और अनेक जीव विभक्तिवाले हैं - । लोभसंज्वलनकी अपेक्षा कदाचित् एक जीव विभक्तिवाला है और कदाचित् अनेक जीव विभक्तिवाले हैं।
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