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गा० २२ ]
उत्तरपयडिविहत्तीए भंगविचो चक्खु०-अचक्खु०-ओहिदसण-सण्णि त्ति वत्तव्वं ।
१५६. ओरालियमिस्स० जोगीसु मिच्छत्त-सोलसकसाय-णवणोकसाय० सिया सव्वे जीवा विहत्तिया, सिया विहत्तिया च अविहत्तिओ च, सिया विहत्तिया च अविहत्तिया च एवं तिण्णि भंगा। सम्मत्त-सम्मामिच्छत्त० विहत्तिया अविहत्तिया च णियमा अस्थि । एवं कम्मइय० वत्तव्यं । गवरि, सम्मत्त-सम्मामि० विहत्तिया भयणिजा । वेउब्धियमिस्स०जोगीसु मिच्छत्त-सम्मत्त-सम्मामि०-अणंताणु०चउकाणं अह भंगा। तं जहा, सिया विहत्तिओ १, सिया अविहत्तिओ २, सिया विहत्तिया ३, सिया अविहत्तिया ४, सिया विहत्तिओ च अविहत्तिओ च ५, सिया विहत्तिओ च अविहत्तिया च ६, सिया विहत्तिया च अविहत्तिओ च ७, सिया विहत्तिया च अविदर्शनी,अवधिदर्शनी और संज्ञी जीवोंके कहना चाहिये।
विशेषार्थ-इन उपर्युक्त मार्गणाओंमें क्षीणकषाय गुणस्थान भी होता है और क्षीणक षायमें कदाचित् एक भी जीव नहीं रहता। यदि होते हैं तो कदाचित् एक और कदाचित् नाना जीव होते हैं। इसी अपेक्षासे ऊपर तीन भंग घटित करना चाहिये। शेष कथन सरल है।
११५६. औदारिकमिश्रकाययोगी जीवोंमें कदाचित् मिथ्यात्व, सोलह कषाय और नौ नोकषायोंकी विभक्तिवाले सब जीव हैं। कदाचित् अनेक जीव विभक्तिवाले और एक जीव अविभक्तिवाला है। कदाचित् अनेक जीव विभक्तिवाले और अनेक जीव अविभक्तिवाले है। इस प्रकार उक्त छब्बीस प्रकृतियोंकी अपेक्षा तीन भंग होते हैं। तथा सम्यक्प्रकृति
और सम्यग्मिथ्यात्वकी विभक्तिवाले और अविभक्तिवाले अनेक जीव नियमसे हैं। इसीप्रकार कार्मणकाययोगी जीवोंका कथन करना चाहिये। इतनी विशेषता है कि सम्यक्प्रकृति और सम्यमिथ्यात्वकी विभक्तिवाले जीव भजनीय हैं।
विशेषार्थ-ऊपर मिथ्यात्व आदि छब्बीस प्रकृतियोंकी अविभक्तिवाले जीवोंके जो तीन भंग कहे हैं वे केवलीके कपाट समुद्धातपदकी अपेक्षासे कहे हैं, क्योंकि कदाचित् एक भी जीव केवलिसमुद्धात नहीं करता, कदाचित् अनेक जीव और कदाचित् एक जीव केवलिसमुद्धात् करते हैं अतः उक्त तीन भंग बन जाते हैं। कार्मणकाययोगियोंमें ये तीन भंग प्रतर और लोकपूरण समुद्धातकी अपेक्षा घटित करना चाहिये । शेष कथन सरल है।
वैक्रियिकमिश्रकाययोगी जीवोंमें मिथ्यात्व, सम्यक्प्रकृति, सम्यमिथ्यात्व और अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी अपेक्षा आठ भंग होते हैं। वे इसप्रकार हैं-कदाचित् एक जीव उक्त प्रकृतियोंकी विभक्तिवाला है १ । कदाचित् एक जीव अविभक्तिवाला है २। कदाचित् अनेक जीव विभक्तिवाले हैं ३ । कदाचित अनेक जीव अविभक्तिवाले हैं ४ । कदाचित एक जीव विभक्तिवाला है और एक जीव अविभक्तिवाला है ५। कदाचित् एक जीव विभक्तिवाला और अनेक जीव अविभक्तिवाले हैं ६ । कदाचित् अनेक जीव विभक्तिवाले
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