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( ८४ ) ११३२६, २. क्रुद्ध, कुपित, प्रचण्ड स्वभाव का हृदि । शुन्यता, ईमानदारी, निष्कपटता 2. (वेदा० में) भ्रम क्षतो गोत्रभिदप्यमर्षणः-- रघु० ३।५३ -अभिमन्युव- का अभाव, परमात्मा का ज्ञान-यम् परब्रह्म । घामर्षितैः पाण्डुपुत्रः-वेणी०४, 3. प्रचण्ड, दृढ़- | अमायिक,--मायिन् (वि.) [न० त०] मायारहित, संकल्प।
निश्छल, ईमानदार। अमल (वि.) [न.ब.] 1. मलरहित, मलमुक्त, पवित्र, अमावस्या,-वास्या) [अमा+वस+यत, पयत् वा; अमा
निष्कलंक, विमल,-अमलाः सुहृदः-पंच० २।१७१, | अमावसी,-वासी +वस्+अप, धन वा ] नूतन विशुद्ध, निष्कपट 2. श्वेत उज्ज्वल,-कर्णावसक्तामल- | (अमामसी,-मासी), चन्द्रमा का दिन, वह समय जब कि दन्तपत्रम्-कु० ७।२३, रघु०६।८०,--ला 1. लक्ष्मी सूर्य और चन्द्रमा दोनों संयुक्त रहते हैं, प्रत्येक चान्द्र देवी 2. नाल 3. आँवले का वृक्ष,-लम् 1. पवित्रता मास के कृष्ण पक्ष का पन्द्रहवां दिन--सूर्याचन्द्रमसो: 2. अबरक, 3. परब्रह्म। सम०-पतत्रिन् [पुं०-त्री] यः परः संन्निकर्षः साऽमावस्या-गोभिल।
जंगली हंस,-रत्नम्,-मणिः स्फटिक पत्थर। अमित (वि.) [नत०11. जो मापा न गया हो; असीम, अमलिन (वि.) [न० त०] स्वच्छ, बेदाग, पवित्र, ! सीमारहित, विशाल-मितं ददाति हि पिता मितं भ्राता
(नैतिक रूप से भी)-कुलममलिनं नत्वेवाय जनो न मितं सुतः, अमितस्य हि दातारं भर्तार का न पूजयेत्च जीवितम्-मा० २।२।
रामा० 2. उपेक्षित, अनादृत 3. अज्ञात 4. असंस्कृत । अमसः [ अम् +असच् ] 1. रोग 2. मूर्खता 3. मूर्ख 4. ! सम.---अक्षर (वि०) गद्यात्मक,--आभ (वि.) समय ।
अतिकांतियुक्त, असीम प्रभायुक्त,-ओजस् (वि.) अमा (वि.) [न० त०] अपरिमित--(अव्य०) 1. से, असीम तेजोयुक्त, अखिल शक्तिसंपन्न, सर्वशक्तिमाम्
निकट, पास 2. के साथ, से मिलकर, जैसा कि अमात्य, -तेजस,-द्युति (वि०) असीम तेज या कांतियुक्त अमावस्या (स्त्री) नूतन चन्द्रमा का दिन, सूर्य और --विक्रमः 1. असीम बल शाली, 2. विष्णु । चन्द्र के संयोग का दिन, अमायां तु सदा सोम । अमित्रः | अम । इत्र] जो मित्र न हो, शत्र, विरोधी, वैरी, ओषधी: प्रतिपद्यते-व्यास 2. चन्द्रमा की सोलहवीं
प्रतिद्वंद्वी, विपक्षी,-स्याताममित्री मित्रे च सहजप्राकृता, कला, पुं०-आत्मा । सम०--अन्तः नूतन चन्द्रमा के
वपि-शि० २१३६, तस्य मित्राण्यमित्रास्ते---१०१, दिन की समाप्ति,-पर्वन् (नपुं०) अमा का पवित्र
प्रकृत्यमित्रा हि सतामसाधवः--कि० १४१२१, । सम० काल, नूतन चन्द्रमा का दिवस।
-घात,-घातिन्,–न,—हन शत्रुओं को मारने अमांस (वि०) [न० ब०] 1. बिना मांस का, मांस रहित, वाला, -जित् (वि०) अपने शत्रुओं को जीतने वाला,
2. दुबला-पतला, बलहीन, सम् [न० त०] जो अमित्रजिन्मित्रजिदोजसा च यत्-नै० १११३ । मांस न हो, मांस को छोड़ कर और कोई वस्तु । अमिथ्या (क्रि. वि.) [न० त०] जो मिथ्या न हो, सम-ओवनिक (वि०)[स्त्री०- की मांसयुक्त बने सचमुच, तामचतुस्ते प्रियमप्यमिथ्या-रघु०१४।६। हए चावलों से संबंध न रखने वाला।
अमिन् (वि०) [अम्+णिनि ] बीमार, रोगी। अमात्यः [ अमा--त्यक] राजा का सहचर, या अनुयायी, | अमिषम् [अम्+इषन] 1. सांसारिक सुख के पदार्थ, विलास
मंत्री, अमात्यपूत्रः सवयोभिरन्वित:-रघु० ३।२८ । की सामग्री 2. ईमानदारी, निश्छलता, निष्कपटता, अमात्र (वि.) [न० ब०] 1. सीमारहित, अपरिमित 3. मांस।
अपूर्ण, असमस्त 3. जो आरम्भिक न हो,-त्रः | अमीवा [ अम्व न् ईडागमः ] 1. कष्ट, बीमारी, रोग 2. परब्रह्म,।
दुःख, त्रास-वम् कष्ट, दुःख, पीड़ा, चोट । अमाननम्-ना नि० त०] अनादर, अपमान, अवज्ञा ।
अमुक (नि० वि०) [अदस्-टेरकच् उत्वमत्त्वे-तारा०] अमानस्यम् [न० त०] पीड़ा।
कोई व्यक्ति या पदार्थ, फलां २,ऐसा-ऐसा (जब व्यक्ति अमानिन् (वि०) [न० त०] विनम्र, विनीत ।
को नाम से संबोधित न किया जाय), मतं मेऽमुकपुत्रअमानुष (वि.) [स्त्री०--षो] [न० त०] अमानवी, स्य यदत्रोपरि लेखितम-याज्ञ० २१८६, ८७, उभयाभ्य
मनुष्य से संबंध न रखने वाला, अलौकिक, अपार्थिव, थितेनैतन्मया ह्यमुकसूनना, लिखितं हमकेनेति लेखको अपौरुषेय, -आकृतिरेवानुमापयत्यमानुषताम् -का. ऽन्ते ततो लिखेत्-८८। १३२।
अमुक्त (वि०) [न० त०] 1. जिसके बंधन खोले न गये अमानुष्य (वि०)[न० त०] अमनुष्योचित, अपौरुषेय आदि । हों, जो जाने में स्वतंत्र नहीं 2. जन्ममरण के बंधन से अमाम (मा) सी-अमावसी या अमावस्या।
जिसे छुटकारा न मिला हो, जिसे मोक्ष प्राप्त न हआ अमाय (वि.) [न.ब.] 1.अकुटिल, पारखी, मायारहित, हो,-कतम एक हथियार (चाक या तलवार आदि)
निष्कपट 2, जो मापा न जा सके;-या 1. कपट- जो सदैव पकड़ा जाता है, फेंका नहीं जाता। सम०
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