________________
द्वितीय परिच्छेद
१५३,
प्रश्न:- वो कौन से मत हैं, जिनों ने शरीरधारी ईश्वर माना है ?
उत्तर - तौरेत नामा ग्रन्थ में ऐसे लिखा है, कि ईश्वर ने इबराहीम के यहां रोटी खाई, तथा याकूब के साथ कुस्ती करी । इस लिखने से प्रतीत होता है कि ईश्वर देहधारी है। तथा शंकरविजय के दूसरे प्रकरण में शंकर स्वामी का शिष्य आनंदगिरि लिखता है कि जब नारद जी ने 'देखा,' कि इस लोक में बहुत कपोलकल्पित मत उत्पन्न हो गये हैं, रु सनातन धर्म लुप्त हो गया है; तब तो नारद जी शीघ्र ही ब्रह्मा जी के पास पहुंचे, अरुजाकर कहने लगे कि हे पिता जी ! तुमारा मत तो शयः नहीं रहा, अरु लोगों ने अनेक मत बना लिये हैं । सो इस बातका कुछ उपाय करना चाहिये । तव तो ब्रह्मा जी बहुत काल तांई चिन्तन करके पुत्र, मित्र, भक्त जनों को साथ लेकर अपने लोक से चल कर शिव लोक में पहुंचे । आगे क्या देखते हैं कि, जैसे मध्याह्न में कोटि सूर्यो के समान तेज वाला तथा कोटि चन्द्रमा के समान शीतल, और पांच जिस के मुख हैं, चन्द्रमा जिस के मुकुट में है, बिजलीवत् पिंगल जटा का धारक, और पार्वती जिस के वाम अङ्ग में है, ऐसा सर्व का ईश्वर महादेव विराजमान है । ब्रह्मा जी नमस्कार करके उस की स्तुति करने लगे, यथाहे महादेव, सर्वज्ञ, सर्वलोकेश, सर्वसाक्षी, सर्वमय, सर्वकारण, इत्यादि । इस लिखने से प्रगट प्रतीत होता है कि ईश्वर
gutostay to