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जैनतत्त्वादर्श "बुद्ध भगवान् के हैं, अरु सात बुद्ध मानते हैं:-१. विपशी, २. शिखी, ३. विश्वभू ४. क्रकुच्छंद, ५. कांचन, ६. काश्यप, ७. शाक्यसिंह । पिछले शाक्यसिंह बुद्ध के नामः-१. शाक्यसिंह, २. अर्कबांधव, ३. राहुलसू, ४ सर्वार्थसिद्ध, ५. गौतम, ६. • मायासुत, ७. शुद्धोदनसुत, ८. देवदत्ताप्रज।
"तथा:-१. भिन्तु, २. सौगत, ३. शाक्य, ४. शौद्धोदनि, ५.सुगत, ६. तथागत, और ७ शून्य वादी, यह बौद्धों के नाम हैं। तथा शौद्धोदनि, धर्मोत्तर, अर्चट, धर्मकीति, प्रज्ञाकर, दिङ्गनाग, इत्यादि नाम वाले ग्रन्थों के रचियता गुरु हैं। तथा तर्कभाषा, न्यायबिदु, हेतुबिंद, न्यायप्रवेश, इत्यादि तर्कशास्त्र हैं, तथा बौद्धों की चार शाखाहैं:-१. वैभाषिक २. सौत्रांतिक, ३. योगाचार, ४. माध्यमिक ।। बौद्ध लोग इन चार वस्तुओं को मानते हैं-१. दुःख,
२. समुदाय, ३. मार्ग, ४. निरोध । तहां जो चार आर्यसत्य दुःख है, सो पांच स्कंधरूप है, उन के 'नाम
ये हैं-१. विज्ञानस्कंध, २. 'वेदनास्कंध, ३. संज्ञास्कंध, ४. संस्कारस्कंध, ५. रूपस्कंध । इन पांचों के विना अपर कोई भी प्रात्मादिक पदार्थ नहीं है । इन पांच स्कंधों का अर्थ लिखते हैं। [१] रूपविज्ञान रसविज्ञान, इत्यादि निर्विकल्पक जो विज्ञान हैं । सो विज्ञान - स्कंध । [२] सुख दुःख आदि की. जो वेदना है, सो वेदनास्कंध है । यह वेदना पूर्वकृत कर्मों से होती है। [३]