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- इस प्रकार ४६ भांगों का विवरन किया गया है। र एक नियम करने छाले को इनका ध्यान रखना पाहिये । जैसे कि-नव भांगों के अनुसार नियम किया जायगा । वष नियम का पलना बहुत ही मम होगा मोरं उसके पालने का झान भी ठीक रहेमा अब प्रत्याख्यान की विधि को मानता ही नहीं घब उमके शुद्ध पालने की क्या प्राशा झी जासकती है अतएव ! इनको कण्ठस्थ अवश्य ही करना चाहिये।
इनका पूर्ण विवरण देखना होवे तो मेरे लिखे हुए पच्चीस बोल के थोड़े के २४ वे चोल में देखना चाहिये।
वथा श्री भगवती सूत्र में इनका विस्तार पूर्वक कयन किया गया है जब कोई मात्मा प्रत्याख्यान करता है सब उसको देश वा सर्व चारित्री कहा जाता है सो, चारित्र ५ प्रकार से प्रतिपादन किये गए हैं जैसे किसामायिक चारित्र १ छेदोपस्थापनीय चारित्र २ परिहारविशुदि चारित्र ३ सूक्ष्म संपराय चारित्र ४ ययाख्यात चारित्र ५ प्रामायिक चारित्र सावध कर्म का निवृति रूप होता है। पूर्व दीक्षा का छेद रूप वेदोपस्थापचीय चारित्र