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दीपिकानियुक्तिश्च अ० १ सू. ३२
औदारिकशरीरस्य मेदकथनम् १३३ तत्त्वार्थदीपिका—पूर्वोक्तेषु गर्भव्युत्क्रान्तिक-सम्मूर्छनो-पपातेति त्रिषु जन्मसु कस्मिन् जन्मनि-औदारिकादिपञ्चशरीराणां मध्ये कतमत्-शरीरं भवतीति जिज्ञासायामाह -ओरालिए दुविहे समुच्छिमे गब्भवक्कंतिए य-" इति । औदारिकम् उदारेण स्थूलेन पुद्गलेन निर्वृत्तं शरीरम् औदारिकमुच्यते तच्च-द्विविधम् सम्मूछिमम्-गर्भव्युत्क्रान्तिकं च तथाच-सम्मूर्छनजन्मनां गर्भव्युत्क्रान्तिकानां जीवानाम् औदारिकं शरीरं भवति, न तु-तेषमौदारिकमेवेत्यवधारणम् । तैजस कार्मणशरीरद्वयमपि तेषां सम्भवति । लब्धिप्रत्ययवैक्रिया-ऽऽहारकयोर्वा गर्भव्युत्क्रान्तिकानां जीवानामुत्तरकालभावित्वात् । औदारिकशरीरं खलु जघन्येनाऽर्जुलासंख्येयभागप्रमाणम् उत्कृष्टेनसहस्रयोजनप्रमाणं चेति । __ तत्रोदारं तावत्-वयः परिणामेनोपचीयमानतया वर्धनम् , वयो हनिप्राप्त्या च जीर्णता भवति औदारिकशरीरस्य, शिथिलसन्धिबन्धनेन-लम्बमानचर्ममण्डलेन च शीर्णता तस्य भवतीति भावः।।३२॥
तत्त्वार्थनियुक्तिः -पूर्वोक्तानामौदारिकादिपञ्चानां शरीराणां कतमत् शरीरं सम्मूर्च्छनादिषु त्रिषु जन्मसु क्व जायते इत्याशङ्कायामाह-औदारिकं शरीरं तावद् द्विविधं प्रज्ञप्तम् , सम्मूछिमं-गर्भव्युत्क्रान्तिकञ्चेति तथाच-सम्मूर्छनजन्मनां-गर्भजन्मनां च प्राणिनामौदारिकं शरीरं
मूलसूत्रार्थ -“ओरालिए दुविहे" इत्यादि ॥३२॥
तत्वार्थदीपिका--पहले तीन प्रकार के जन्म कहे गए हैं। उनमें से किस जन्म में औदारिक आदि पाँच शरीरों में से कौन सा शरीर होता है ? ऐसी जिज्ञासा होने पर कहते हैं
औदारिक शरीर दो प्रकार का है-संमूर्छिम और गर्भव्युत्क्रान्तिक ।।
उदार अर्थात् स्थूल पुद्गलों से बनने वाला शरीर औदारिक कहलाता है । उसके दो भेद हैं-सम्मूर्छिम और गर्भव्युत्क्रन्तिक । इस प्रकार सम्मूर्छन जन्म और गर्भजन्म से उत्पन्न होने वाले जीवों को औदारिक शरीर होता है । यहाँ ऐसा अवधारण नहीं करना चाहिए कि उनको औदारिक ही होता है । क्योंकि उनके तैजस और कार्मण शरीर भी होते हैं, लब्धिनिमित्तक वैक्रिय
और आहारक शरीर भी गर्भज जीवों के आगे चल कर हो सकते हैं । औदारिक शरीर जघन्य से अंगुल के असंख्यात भाग प्रमाण और उत्कृष्ट से हजार योजन प्रमाण से कुछ अधिक होता है।
__ औदारिक शरीर, जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे वृद्धि को प्राप्त होता रहता है और जब उम्र की हानि होने लगती है तो जीर्ण होने लगता है। फिर जब सन्धिबन्धन ढीले पड़ जाते हैं और. चमड़ी लटकने लगती है तो शीर्ण होता है ॥३२॥ ____ तत्त्वार्थनियुक्ति–पूर्वोक्त औदारिक आदि पाँच शरीरों में से कौनसा शरीर सम्मू
छैन आदि तीन जन्मों में से कहाँ होता है ? इस प्रकार की आशंका होने पर कहते हैं.. औदारिक शरीर दो प्रकार का है-सम्मूर्छिम और गर्भज । अतः सम्मूर्छन जन्म वाले तथा गर्भजन्म वाले प्राणियों को औदारिक शरीर होता है, किन्तु ऐसा नियम नहीं