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तत्वार्यसूत्र महापुण्डरीतहृदप्रभवा दक्षिणतोरणद्वारनिर्गता सुवर्णकूलानदी प्रवहति , महापुण्डरीकहृदप्रभवा पूर्ववतोरणद्वारनिर्गता रक्तानदी प्रवहति 'तत्पश्चिमतोरणद्वारनिर्गता रक्तोदा-रक्तवतीवा नदी प्रवहति । उक्तञ्च स्थानाङ्गे ७ स्थाने
'जंबुद्दीवे सत्त महानदीओ पुरत्याभिमुहीओ लवणसमुदं समुप्पेंति, तं जहा-गंगा रोहिता-हरी-सीता-णरकता-सुवण्णकूला रत्ता-जंबुद्दीवे सत्त महानदीओ पच्चत्याभिमुहीओ लवणसमुदं समुप्पेंति, तंजहा-सिंधू-रोहितंसा-२ हरिकंता-३ सीतोदा-४ णारीकता-५ रुप्पकूला-६ रत्तवई-" इति ।
जम्बूद्वीपे सप्त महानद्यः---पूर्वाभिमुख्यो लवणसमुद्रं समर्पयन्ति [स्वस्वाऽऽत्मानम् ] तद्यथा---गङ्गा-१ रोहिता-२ हरित्-३ सीता-४ नरकान्ता-५, सूवर्णकूला-६ रक्ता-७ जम्बूद्वीपे-सप्तमहानद्यः पश्चिमाभिमुख्यो लवनसमुद्रं समर्पयन्ति, तद्यथा-सिन्धुः-१ रोहितांशाहरिकान्ता-३ सीतोदा-४ नारीकान्ता-५ रुप्यकूला-६ रक्तवती-७ इति. ।
तत्राऽपि-गङ्गा-सिन्धु:-रक्तारक्तवतीचे-त्येवं खलु चतस्रो महानद्यः प्रत्येकं चतुर्दशसहस्रनदीभिः परिवृताः सत्य पूर्वपश्चिमलवणसमुद्रं प्रविशन्ति । तत्र-गङ्गा-रक्ता च तथाविधं महानद्यो वै पूर्वलवणसमुद्रं प्रविशतः । सिन्धुः-रक्तवती च द्वे महानद्यौ तथाविधे पश्चिमलवणसमुद्रं प्रविशतः । तत्र-गङ्गा-सिन्धुश्च द्वे महानद्यो भरतवर्षे प्रवहतः । रक्तारक्तवती च द्वे महानद्यौ ऐरवतक्षेत्रे प्रवहतः इति ।।
उक्तञ्च-जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तौ ६ वक्षस्कारे १२६-सूत्रे-" जम्बुद्दीवे भरहेरवएसु वासेसु
सुवर्णकूला नदी महापुण्डरीक हृद से उद्गत होकर दक्षिणी तोरणद्वार से निकल कर बहती है । रक्ता और रक्तोदा नामक नदियाँ भी इसी हद निकली हैं और वे क्रमशः पूर्व तोरणद्वार तथा पश्चिम तोरणद्वार से होकर बहती हैं। . स्थानांग सूत्र के सातवें स्थान के में कहा है
जम्बूद्वीप में सात महानदियाँ पूर्व की ओर अभिमुख होकर लवणसमुद्र में जाकर मिलती हैं । वे ये हैं-गंगा, रोहिता, हरी, सीता, नरकान्ता, सुवर्णकूला और रक्ता । जम्बूद्वीप में सात महानदियों पश्चिम की ओर अभिमुख होकर लवण समुद्र में मिलती है । वे इसप्रकार हैं। सिन्धु, रोहितांशा, हरिकान्ता, सीतोदा, नारीकान्ता, रूप्यक्ला और रक्तवती ।।
पूर्वोक्त चौदह नदियों में से गंगा, सिन्धु, रक्ता और रक्तवती नामक चार महा नदियाँ चौदह-चौदह हजार नदियों के साथ मिलकर पूर्व और पश्चिम के लवण समुद्र में मिलती हैं। इसमें से गंगा और रक्ता नामक दो महानदियाँ पूर्व लवण समुद्र में प्रवेश करती है । सिन्धु और रक्तवती नामक दो महा नदियाँ पश्चिम लवणसमुद्र में प्रवेश करती हैं । गंगा और सिन्धु भस्तक्षेत्र में बहती हैं और रक्ता तथा रक्तवती ऐरषत क्षेत्र में बहती हैं। .