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दीपिकानियुक्तिश्च अ.५ सू. २७ चुल्लहमपदादि वर्षाणां वर्षधराणां च बाहल्यम् १५३ पुढे पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं लवणसमुइंपुढे, पच्चत्थिमिल्लाए कोडीए पच्चस्थिमिल्लं लवणसमुदं पुढे एगं जोयणसयं उड्हें ऊच्चत्तेणं, पणवीसं जोयणाइं उव्वेहेणं एगंजोयणसहस्सं बावन्नं जोयणाई दुवालसयएगृणवीसईभाए जोयणस्स विक्खं भेणं-" इति ॥ जम्बूद्वीपे द्वीपे-क्षुल्लहिमवान् नाम वर्षधरपर्वतः प्रज्ञप्तः, प्राची-प्रतीचिना-ऽऽयत उदीची दक्षिणविस्तीर्णः द्विधा लवणसमुद्रं स्पृष्टः पौरस्त्यया कोट्या पोरस्त्यं लवणसमुद्रं स्पृष्टः, पाश्चात्यया कोट्या पाश्चात्यं लवणसमुद्रं स्पृष्टः एक योजनशतम् ऊर्ध्वमुच्चत्वेन, पञ्चविंशतियों जनानि उद्वेधेन, एकं योजनसहस्रं द्वापञ्चाशद्योजनानि द्वादशचैकोनविंशतिभागा योजनस्य विष्कम्भेण-इति।
२-ततश्चाने हैमवतवर्षाधिकारे जम्वूप्रज्ञप्तावेवोक्तम्-“जंबुद्दीवे दीवे हेमबए णामं वासे पण्णत्ते पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे पलियंकसंठाणसंठिए दुहा लवणसमुदं पुढे. पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं लवणसमुदं पुढे पच्चथिमिल्लाए कोडीए पच्चथिमिल्लं लवणसमुई पुढे-दोणि जोयणसहस्साई एगच पंचुत्तरं जोयणसयपंचय एगणवीसईभाए जोयणस्स विकखंभेणं-" इति । जम्बूद्वीपे द्वीपे-हैमवतो नाम वर्षः प्रज्ञतः, प्राचीन-प्रतीचीना-ऽऽयतः उदोची-दक्षिणविस्तीणेः पल्यङ्कसंस्थानसंस्थितो द्विधा लवणसमुद्रं स्पृष्टः पौरस्त्यया कोट्या पौरस्त्यं लवणसमुद्रंस्पृष्टः, पाश्चात्यया कोट्या-पाश्चात्यं लवणसमुद्रं स्पृष्टाद्वे योजनसहने, एकश्च पञ्चोत्तरं योजनशतं पञ्चचैकोनविंशतिभागाः योजनस्य विष्कम्भेण-" इति ।
३-ततश्चाऽग्रे पुनस्तत्रैव महाहिमवन्त मधिकृत्योक्तम्-"जंबदीवे हीवे महाहिमवंते णाम वासहरपव्वर पण्णत्ते, पाईणपाडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे दुहा लवणसमुद्दे पुढे पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं लवणसमुदं पुढे पच्चस्थिमिल्लाए जाव पुढे, दो जोयणसहस्साई उड्डे उच्चत्तेणं पण्णासं जोयणे उव्वेहेणं-चत्तारि जोयणसहस्साई में चुल्ल (क्षुद्र) हिमवन्त नामक वर्षधर पर्वत कहा गया है । वह वर्षधर पर्वत पूर्व और पश्चिम में लम्बा है, उत्तर दक्षिण में चौड़ा है और दोनों ओर लवणसमुद्र से स्पृष्ट है । उसका पूर्व का किनारा पूर्व लवणसमुद्र से स्पृष्ट है और पश्चिमी किनारा पश्चिम लवणसमुद्र के साथ स्पृष्ट है । वह एक सौ योजन ऊँचा है, पच्चीस योजन अवगाह वाला है और १०५२१२ योजन विस्तार वाला है।
आगे हैमवतवर्ष के प्रकरण में जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति में ही कहा है । 'जम्बूद्वीप नामक द्वीप में हैमवत नामक वर्ष कहा गया है । वह पूर्व से पश्चिम में लम्बा है, उत्तर-दक्षिण में चौड़ा है, पलंग के आकार में स्थित है, दोनों ओर लवण समुद्र को स्पर्श करता है । अपने पूर्वी किनारे से पूर्वसमुद्र को और पश्चिमी किनारे से पश्चिमी समुद्र को स्पर्श करता है। उसका विस्तार २१०५ ५ योजन का है।