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दीपिकानियुक्तश्च अ. १ सू० ३०
जीवानां शरीरभेदकथनम् १३२२ यस्य खलु भदन्त ! औदारिकशरीरं तस्य आहारकशरीरम्, यस्य आहारकशरीरं तस्य - औदारिकशरीरम् । गौतम ! यस्य औदारिकशरीरं तस्य - आहारकशरीरं स्यादस्ति स्थाद नास्ति,
यस्य आहारकशरीरं तस्य औदारिकशरीरं नियमादस्ति यस्य खलु भदन्त ! औदारिकशरीरम्. तस्य तैजसशरीरम्, यस्य तैजसशरीरं तस्य - - औदारिकशरीरम् । गौतम ! यस्यौदारिकशरीरं तस्य तैजसशरीरं नियमादस्ति, यस्य पुनस्तैजसशरीरं तस्य - औदारिकशरीरं स्यादस्ति स्यान्नास्ति । एवं कार्मणशरीरेऽपि
यस्य खलु भदन्त–! 'वैक्रियशरीरं तस्य- आहारकशरीरम् यस्य - आहारकशरीरं तस्य वैक्रियशरोरम् । गौतमा -! यस्य वैक्रियशरीरं तस्याऽऽहारकशरीरं नास्ति । यस्य पुनराहारकशरीरं तस्य वैक्रियशरीरं नास्ति तैजसकार्मणे यथा- - औदारिकेण समम् तथैव आहारकशरीरेऽपि समं तैजसकार्मणे तथैव — उच्चारयितव्ये | यस्य खलु भदन्त : तैजसशरीरं तस्य कार्मणशरीरम् यस्य कार्मणशरीरं तस्य तैजसशरीरम् ।
प्रश्न——–भगवन् ! जिसको औदारिक शरीर है उसको आहारकशरीर और जिसको आहाकशरीर है उसको औदारिकशरीर होता है ?
उत्तम — गौतम ! जिसको औदारिकशरीर हो उसको आहारक शरीर कदाचित होता है, कदाचित् नहीं; जिसको आहारक शरीर है उसको औदारिक शरीर नियम से होता है । - भगवन् ! जिसको औदारिक शरीर होता है उसके तैजस और जिसको तैजस शरीर होता है उसके औदादिक होता है कि नहीं ?
प्रश्न
उत्तर - गौतम ! जिसको औदारिक शरीर है उसको तैजस शरीर नियम से होता है; किन्तु जिसक तैजस शरीर हो उसको औदारिक शरीर होता भी है अथव नहीं भी होता । ऐसा ही कार्मण शरीर के लिए भी कहना चाहिए ।
प्रश्न — भगवन् ! जिसको वैक्रिय शरीर है उसको आहारक शरीर और जिसको आहारक शरीर है उसको वैक्रिय शरीर होता है ?
उत्तर—–गौतम ! जिसको वैक्रिय शरीर होता है, उसको आहारक शरीर नहीं होता, जिसको आहारक शरीर होता है उसको वैकिय शरीर नहीं होता । तैजस और कार्मण शरीर के विषय में औदारिक के संबन्ध में जैसा कहा है, वैसा ही यहाँ समझना चाहिए और आहारक शरीर के विषय में भी उसी प्रकार कहना चाहिए; अर्थात् जिसक वैक्रिय अथवा आहारक शरीर होता है, उसके तैजस और कार्मण शरीर नियम से होते हैं ।
प्रश्न-
- भगवन् ! जिसके तैजस शरीर होता है उसके कार्मण और जिसके कार्मण होता है उसके तैजस होता है ?