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तत्त्वार्थसूत्रे अथ संहन्यमानाः परमाणवः किं द्विप्रदेशादिकस्कन्धाकारेण परिणता भवन्ति ? आहोस्वित् परिमण्डलादिपञ्चप्रकारकसंस्थानाकारेण परिणमन्ते ? तत्र-यदि परमाणुषु स्पर्शादयः परिणामाव्यवस्थिता भवन्ति, तदा तेषां तत्र सर्वदा व्यवस्थितत्वान्नोत्पादो, नापि-विनाशः सम्भवति । उत्पाद--विनाशौ च विना स्निग्धगुण-रूक्षगुणपरमाणुपुद्गलयोः परिणामाऽभावे तदवस्थयोः कथं द्यणुकादिस्कन्धपरिणामः
स्कन्धेषु वा-स्पर्शादिशब्दादिपरिणामेषु एकस्यैव कस्यचित् परिणामस्य नित्यत्वेनेष्टतया शेषस्पर्शादि शब्दादिपरिणामाऽभावापत्तिः स्यात् । यदि तु-परमाणुषु स्कन्धेषु वा स्पर्शादिपरिणामा अव्यवस्थिताः सन्तीत्युच्यते, तदा-सर्वमिष्यमाणमुपपद्यते, पूर्वपरिणामत्यागेनोत्तरपरिणामान्त राभ्युपगमात् । अन्ये स्पर्शादयो-ऽन्ये च स्पर्शादिशब्दादयो द्रव्य-क्षेत्र-काल-भावविशेषा भवन्तीति , यथा-परिणामं । वस्त्ववगम्येत । तथाच-कोऽत्र सिद्धान्तः इति नाऽवगम्यते,
___ कथञ्चिदव्यवस्थितत्वपक्षाभ्युपगमेऽपि किं समगुणः समगुणतयैव परिणमयति ? उताहो विषमगुणतयापि परिणमयति ! इतिचेदत्रोच्यते परमाणुषु-स्कन्धेषु वा स्पर्शादयः स्पर्शादिशब्दादो गुण अधिक स्निग्ध के साथ और रूक्ष का दो गुण अधिक रूक्ष के साथ बन्ध होना सिद्ध होता है । और इसी गाथा के उत्तरार्ध से यह फलित होता है कि जघन्य गुण से वर्जित स्निग्ध और रूक्ष पुद्गलों का, चाहे वे विषम गुण वाले या सम गुण वाले हों, परस्पर में बन्ध हो जाता है ।
प्रश्न-जब परमाणु आपस में मिलते हैं तो क्या द्विप्रदेशी आदि स्कन्धों के आकार में परिणत होते हैं अथवा परिमंडल आदि पाँच प्रकार के आकार में परिणत होते हैं ? यदि परमाणुओं में स्पर्श आदि परिणाम व्यवस्थित ही होते हैं या स्कंधों में स्पर्श आदि परिणाम व्यवस्थित होते हैं तो उनके वहाँ सदैव व्यवस्थित रहने के कारण न उत्पाद होगा, न विनाश होगा । जब उत्पाद और विनाश नहीं होगा तो स्निग्ध और रूक्ष गुण वाले परमाणुओं के परिणमन के अभाव में कैसे द्वयणुक आदि स्कन्ध परिणाम उत्पन्न होगा ?
स्पर्श आदि तथा शब्द परिणाम वाले स्कंधों में एक ही किसी परिणाम को नित्य रूप से अंगीकार करने के कारण शेष स्पर्श आदि एवं शब्द आदि परिणामों के अभाव की आपत्ति होगी।
यदि आप स्कन्धों में स्पर्श आदि परिणामों को अव्यवस्थित कहते हैं तो सब ठीक है; क्योंकि पूर्व परिणाम का त्याग होने पर उत्तर परिणाम को स्वीकार किया गया है । स्पर्श आदि भिन्न हैं और स्पर्श आदि. शब्द आदि भिन्न हैं जो द्रव्य क्षेत्र काल और भाव संबंधी परिणाम विशेष होते हैं। इस प्रकार परिणाम के अनुसार वस्तु का ज्ञान हो जाएगा । तो इस विषय का सिद्धांत क्या है, यह मालूम नहीं पड़ता।