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अनूठा
अनूठा - (वि०) 1 अद्भुत 2 विलक्षण अनूढा -सं० (स्त्री०) अविवाहिता प्रेमिका
अनूदन -सं० (पु० ) 1 बात को फिर से कहना 2 अनुवाद करना अनूदित सं० (वि०) 1 भाषांतरित 2 पीछे कहा हुआ अनूप - I सं० (वि० ) 1 उपमारहित 2 अतिसुंदर 3 अद्वितीय, निराला II ( पु० ) 1 जलप्राय स्थान, दलदल 2 तालाब 3 किनारा
अनूह -सं० (वि०) 1 समझ में न आनेवाला 2 विचार हीन 3 अतवर्य
अनृत-सं० (पु०) झूठ
मुख
अनेक-सं० (वि०) एक से अधिक चर (वि०) झुंड बनाकर रहनेवाला; ~ चित्त (वि०) जिसका मन चंचल हो; ~ज (वि०) जिसका कई बार जन्म हो; ~त्व अनेकता; पक्षीय (वि०) अनेक पक्षों का; (वि०) कई दिशाओं में जानेवाला; रूप (वि०) कई रूपोंवाला; विध (वि०) कई प्रकार का अनेकत्र - सं० ( क्रि० वि०) कई जगह अनेकधा-सं० ( क्रि० वि०) कई तरह से अनेकशः सं० (वि०) 1 अनेक प्रकार से 2 अनेक खंडों में अनेकांत-सं० (वि०) अनिश्चित, बदलनेवाला
(पु० )
अनेकाकार—सं० (वि०) बहुत से आकारों एवं आकृतियोंवाला अनेकाकी - सं० (वि०) 1 जो अकेला न हो 2 अनेकों से युक्त अनेकाक्षर-सं० (वि०) कई अक्षरोंवाला अनेका-सं० (वि०) कई कामों में लगा हुआ अनेकानेक-सं० (वि०) असंख्य
अनेकार्थ-सं० (वि०) जिसके अनेक अर्थ हों अनेकार्थक-सं० (वि०) जिसके अनेक अर्थ हों अनेकेश्वर-सं० (पु० ) एक से (स्त्री०) अनेक ईश्वरों की पूजा; सिद्धांत कि ईश्वर अनेक हैं अनैकांतिक-सं० (वि०) अस्थिर
अधिक ईश्वर । पूजा पूजावाद ( पु० ) यह
अनैक्य - सं० (पु० ) 1 एकता का अभाव, अनेकता 2 बहुत्व 3 फूट, मतभेद 4 अव्यवस्था
अनैच्छिक सं० (वि०) जो स्वेच्छा से न किया गया हो अनैठ - (पु० ) बाजार न लगने का दिन अनैतिक-सं० (वि०) नीति विरुद्ध अविहित अनैतिहासिक-सं० (वि०) इतिहास - विरुद्ध अनैयमिक-सं० (वि०) जो नियम विरुद्ध हो अनैश्चित्य -सं० (पु० ) अनिश्चितता अनैसर्गिक - सं० (वि०) अप्राकृतिक, अस्वाभविक अनोखा - (वि०) 1 अनूठा, अद्भुत 2 अपूर्व 3 विशिष्ट अनौचित्य - सं० ( पु० ) 1 औचित्य का अभाव 2 अनुचित अनौपचारिक-सं० (वि०) 1 जो परिपाटी के रूप में न हो
2 सहज
अनौपचारिकता-सं० ( क्रि० वि०) अनौपचारिक ढंग से अनौपम्य-सं० (पु० ) अनुपम होना अन्न - (पु० ) खाने की चीज, भोज्य पदार्थ 2 भात 3 अनाज । ~काल (पु०) भोजन का समय; कूट (पु० ) 1 भात या मिष्ठानादि का ढेर 2 अन्न का त्यौहार ~कोष्ठ (पु० ) 1 अन्न रखने का स्थान 2 कोठिला; ~ क्षेत्र (पु० ) लंगर; गंधि
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अन्याय
(स्त्री०) अतिसार रोग; ग्रहण (पु० ) अन्न पाना; जल (पु०) दाना-पानी, जीविका; ~दाता (वि०) अन्न देनेवाला, मालिक; दोष (पु० ) 1 दूषित अन्न खाने से होनेवाला रोग 2 वह दुर्गुण जो निषिद्ध स्थान या व्यक्ति का अन्न खाने से होता है; ~द्वेष (पु० ) भोजन की अरुचि; ~ पाक (पु० ) अग्नि पर या पेट में खाद्य पदार्थ का पकना; पूर्णा (स्त्री०) अन्न
की अधिष्ठात्री देवी, दुर्गा का एक रूप; ~ प्राशन (पु० ) बच्चे को पहली बार अन खिलाने की रस्म या संस्कार, चटावन; ~ भंडार (पु० ) अन्न का पहाड़ ~मय I ( वि० ) 1 अन्न से बना 2 अन्न से भरा 3 भौतिक II (पु० ) वेदांत में माने हुए पाँच कोशों में से पहला, स्थूल शरीर; मार्ग (पु०) अन्न की पेट में जाने की नली; वस्त्र (पु० ) रोटी कपड़ा; ~ वितरण (पु० ) अन्न की ( जनता में) बाँट; संकट (पु०) अन्न का अकाल; ~ सत्र (पु० ) वह स्थान जहाँ दरिद्रों को पका हुआ भोजन खिलाया जाता है; जल उठना रहने का सहारा न होना
अन्ना - (स्त्री०) 1 धाय 2 माता 3 अँगीठी जिसमें सोना, चाँदी आदि धातुएं तपाई जाती हैं
अन्नागार - सं० ( पु० ) अन्न का कोठा अन्नोत्पादन -सं० (पु० ) अन्न पैदा करना अन्नोपलब्धि-सं० (स्त्री०) अन्न ग्रहण
अन्य - सं० (वि०) 1 दूसरा 2 भिन्न 3 अतिरिक्त 4 अवशिष्ट । ~कृत दूसरे के द्वारा किया हुआ; ~ग, गामी (वि०) अन्य के यहाँ जानेवाला, व्यभिचारी; गोत्र ( पु० ) दूसरा गोत्र चित्त (वि०) जिसका मन अन्यत्र लगा हो, अन्यमनस्क; ~ जन्म (पु०) दूसरा जन्म जातीय (वि०) दूसरी जाति का ; ~देशी (पु० ) दूसरा देश; -देशीय (वि०) अन्य देश का, विदेशी पुरुष (पु०) अनुपस्थित व्यक्ति या वस्तु के लिए पुरुषवाचक सर्वनाम, दूसरा आदमी;
पूर्वा (स्त्री०) वह जो पहले किसी और से ब्याही गई हो; ~ मनस्क (वि०) जिसका चित्त कहीं ओर हो, अनमना; ~वादी (वि०) 1 झूठी गवाही देनेवाला 2 प्रतिवादी; ~संक्रमण (वि०) जिसने अन्य से संबंध कर लिया हो; ~ संगम (पु० ) अवैध अन्यच्च-सं० ( क्रि० वि०) 1 और भी 2 इसके सिवा अन्यतः सं० ( क्रि० वि० ) 1 दूसरे से 2 दूसरे स्थान से 3 दूसरा, अन्यथा
संबंध
अन्यतम - सं० (वि०) 1 बहुतों में से एक 2 सर्वश्रेष्ठ अन्यतर-सं० (वि०) 1 दो में से एक 2 दूसरा
अन्यत्र - सं० ( क्रि० वि०) दूसरी जगह, और कहीं अन्यथा - I सं० ( क्रि० वि०) नहीं तो; II (वि०) 1 उल्टा 2 और का और । वादी (पु० ) उल्टा बोलनेवाला अन्यान्य-सं० (सर्व० ) और दूसरे अन्यापदेश-सं० (पु० ) ऐसा कथन जो अन्य प्रसंग में भी सार्थक हो
अन्यापदेशात्मक-सं० (वि०) अन्य प्रसंग से संबधित अन्यापदेशिक-सं० (वि०) अन्योक्ति के रूप में कहा
गया
अन्याय -सं० (पु० ) 1 न्याय विरूद्ध कार्य 2 अनौचित्य ।
~पीड़त (वि०) अन्याय से पीड़ित पूर्ण अन्याय से पूर्ण;