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११ ए संघयणीकी गाथाके अनुसारे ११ मो कुंडल द्वीप और १३ मो रुचकद्वीप, २, तिपडोयारातहारुणाईया,, इसप्रमाणसें एक नामका ३ नामहोणसें १० मो कुंडलद्वीप आवे है, और २१ मोरुचकद्वीप है, ३ विकल्प, जंबूदीवे लवणे, धायइ कालोय पुक्खरे वरुणे, खीर घय खोय नंदी, अरुणवरे कुंडले रुयगे, यह ४ विकल्प है,, पूर्वोक्त ४ संख्याके विकल्पोंकरके विराजमान रुचकपर्वत है,, उस रुचकपर्वतके शिखरकेविषे' पूर्वादिक ४ दिशाकेविषे, २ हजार योजन जाहांपर होवे है, वहां १-१ कूट है, और चोथा ४ हजारके विषे, पूर्वादि ४ दिशामें, ८-८ कूट है, यह कूट दिशाकुमारीका जाणना,, और ९ मुं सिद्ध कूट है,, तथा विदिशाके विषे जे ४ कूट है,, सो १ हजार योजन मूलमें विस्तार है,, और १ हजार योजन उंचा है,, शिखर ऊपर ५०० योजनका विस्तार है,, एसर्व ४० कूटके विषे रुचकवासिनी, दिसिकुमरीके तांदिशिके विषे जे कुमरीवसे है,, उणोंका नाम इस प्रमाणे है,, १७ नंदोत्तरा १८ नंदा १९ सुनंदा २० नंदवर्द्धनी २१ विजया २२ वैजयंती २३ जयंती २४ अपराजिता यह ८ पूर्व रुचकके विषेवसे है, २५ समाचारा २६ सुप्रदत्ता २७ सुप्रबुद्धा २८ यशोधरा २९ लक्ष्मीवती ३० शेषवती ३१ चित्रगुप्ता ३२ वसुंधरा यह ८ दक्षिण रुचकके विषेवसे है,, ३३ इलादेवी ३४ सुरादेवी ३५ पृथ्वी ३६ पद्मावती ३७ एकनाशा ३८ अनवमिका ३९ भद्रा ४० अशोका यह ८ पश्चिम रुचकके विषेवसे है, ४१ अलंबुसा ४२ मिश्रकेशी ४३ पुंडरीका ४४ वारुणी ४५ हासा ४६ सर्व प्रभा
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