________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्रीमहावीर स्वामीके सर्व शिष्य साधुवर्ग १४ हजार हुए जिसमे मुख्य बडे शिष्य गणधरलब्धिकेधारक ११ गणधर हुवे, तिन ११ गणधरोंका नाम यहहै, इन्द्रभूति १ अग्निभूति २ वायुभूति ३ व्यक्तस्वामी ४ सुधर्मास्वामी ५ मंडितपुत्र ६ मौर्यपुत्र ७ अकंपित ८ अचलभ्राता ९ मैतार्य १० प्रभास ११ यह ११ गणधर सर्वाक्षरोंके संजोगकुं जाणनेवाले थे, और सर्व साध्वी आर्या चंदना प्रमुख ३६ हजार हुई, और शंख पुष्कली आनंद कामदेवादि सर्वश्रावक १ लाख ५९ हजार हुवे और सुलसा रेवती चेलणा जयंती आदि सर्वश्राविका ३ लाख १८ हजार हुइ और श्रेणिक कोणिक उदायन उदायी चेटक चंडप्रद्योतन नवमल्लकी नवलेछकी दशार्णभद्र महेश्वरादि देशव्रतधर समक्त्वव्रतधर बडे बडे अनेक राजालोक श्रीमहावीर स्वामीके लाखोंही सेवक हुवे ॥ ऐसे श्रीमहावीर भगवंत विक्रम संवतसें ४७० वर्ष पहिले पावापुरी नगरीमें हस्तिपाल राजाकी पुराणी राज सभामें ७२ वर्षका आयु भोगवके कार्तिक वदि अमावश्याकी रात्रिके पीछले प्रहरमें पद्मासन किये हुए वेदनीयादि चार कर्मकी सर्व उपाधि छोडके निर्वाण हुए ( मोक्ष पहुंचे) तिस समयमें श्री गौतमस्वामी और श्रीसुधर्मास्वामी, यह दो बड़े शिष्य जीते थे, शेष नव वडे शिष्य तो श्री महावीरस्वामीके जीते हुये ही एक मासका अनशन करके केवल ज्ञान पायके मोक्षचलेगये थे, यह इग्यारहही बडे शिष्य जातिके तो ब्राह्मण थे, चार वेद, और छ वेदांगादि सर्व शास्त्रोंके जानकार थे, इन इग्यारह पंडितों के चौमालीससै (४४००) विद्यार्थी थे ।
८ दत्तसूरि०
For Private And Personal Use Only