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स्त्रियां वक्षस्थल ( छाति) कूटती महाआनंद शब्दकरतिहि इसी मार्ग से पीछी आवेगी वाद पूज्य उपाश्रयगया उतने वह पाणिग्रहणकरणेवाला अपणे सासरे पोहचा ऊपरके मजलपरचढणे लगा उतने पादस्खलित भया अर्थात् पग डिगगया इस्से नीचे घरके ऊपर गिरा घरटके कीलेसै पेटफटगया ओर उसीसमय देहत्याग कर दिया तदनंतर वै स्त्रियों रोति भइ उसी मार्गसे पिछी आतिभइ देखी तब श्रावक लोक बोले अहो श्रीगुरुमाहाराजका ज्ञान कैसा त्रिकालविषय है सब श्रावक लोक धर्म में स्थिरभये ऐसे श्रावकोंकाधर्ममें स्थिर परिणाम उत्पन्न करके विहार करके और नागपुर गये श्री जिनवल्लभ ग णिजीने उहां विशेषधर्मकी प्रवृत्ति करी इस अवसरमें श्रीदेवभद्राचार्य विहार क्रमसे करते करते श्रीअणहिल्लपत्तनमें आये उहाँ आके विचारकरा कि, श्रीप्रसन्नचंद्राचार्यजीने अंतसमय मेरे कहाथा कि तुम श्रीजिनवल्लभगणिको श्रीअभयदेवसूरिजीके पद स्थापन करणा, पट्टपर बैठाना वह प्रस्ताव अब वर्ते है ऐसा विचारके श्रीनागपुरमें जिनवल्लभगणिको विस्तार से पत्र लिखके भेजा पत्र मेंयह लिखा तुमकों परिवारसहितशीघ्र चितोडतरफ विहार करणा ओर चित्रकूट जलदी पोहचना जिस्से हमभि आके विचाराहुवाकार्य करें ऐसां पत्र पोहचणेसें गणिवरने नागपुर विहारकरा चित्रकूट पोहचे श्रीदेवभद्राचार्य भिपरिवारसहित पत्तनसै विहारकरचित्रकूट आये पंडितसोमचंद्रमुनिकोंभि पत्र लिखके बुलाया परंतु नहिं आसके बाद वडे आडंबरसै महान् विस्तारसें श्रीदेवभद्रा - चार्यजीने श्रीअभयदेवाचार्यजीके पट्टपर श्रीजिनवल्लभगणिको
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