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लटुंगपइहाए, सिढिसुयाए विसिचिट्ठाए। गुणगणसवणाओ जस्स, दंसणुकंट्ठियमणाए ॥ ३२॥
अर्थः-मनोहर है अंग जिसका ऐसी सेठकी पुत्रीने साध्वियोंके मुखसे गुणगणश्रवणसे जिसके दर्शनकीउत्कंठामनमें भई विशेष कामकी चेष्टावाली ऐसी ॥ ३२ ॥ निजजणयदिन्नधणकणयरयणरासीए जो ण कन्नाए । तुच्छमवि मुच्छिओ, जुव्वणे वि धनियं धनड्ढाए ॥३३॥
अर्थः-अपनेपितानेदिया धनसुवर्ण रत्नकीराशि ऐसी अत्यन्तधनाढ्यकन्यापर यौवनअवस्थामेंभी मूछितनहीं भए ऐसे ॥३३॥ जलणगिहाओ माहेसरीए, कुसुमाणि जेण समाणित्ता। तिवनियाणं माणो, मलिओ संघुन्नई विहिया ॥ ३४ ॥
अर्थः-ज्वलनदेवका मंदिरवालाउद्यानमाहेश्वरीनगरीमेंथा वहांसे पुष्पलाके बौद्धोंका मान म्लान किया संघकीउनतिकरी ऐसे वज्रस्वामी ॥ ३४॥ दूरोसारिय वइरो, वयरसेननामेण जस्स बहुसीसो। सासो जाओ जाओ, जयम्मि जायाणुसारिगुणो॥३५॥ अर्थः-दूर किया है वैर जिन्होंने ऐसे वज्रसेन नामके जिन्होंके शिष्य बहुतशिष्योंका परिवार है जिसके ऐसा जगत्में प्रसिद्ध गीतार्थानुसारि गुणजिन्होंका ॥ ३५॥ कुंकुणविसए सौपारयंमि, सुगुरुवएसओ जेण । कहिय सुभिक्खमविग्घ, विहिओ संघो गुणमहग्यो ३६
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