Book Title: Jinduttasuri Charitram Purvarddha
Author(s): Chhaganmalji Seth
Publisher: Chhaganmalji Seth
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तथा प्रवचनसारोद्धारप्रकरणे चतुषष्ट्यधिकद्विशततमद्वारे
जादुप्पसहोसूरी, होहिंती जुगप्पहाण आयरिआ, . ... अजसुहम्मप्पभिई, चउरहीया दुनिसहस्सा ॥१॥
वृत्यैकदेश, आर्यः स चासौ सुधर्मस्तत्प्रभृतयः, प्रभृतिग्रहणात् , जंबूस्वामिप्रभवसिय्यंभवाद्यागणधरपरंपराः गृह्यन्ते इत्यादि, अपरं च कालसप्ततिकादीपोत्सवकल्पे च तथासिद्धिप्राभृतिकायां बारसवरसेहिं गोयम, सिद्धो वीराओवीसेहिं सुहम्मो, चउसट्ठीए जंबू, बोच्छिन्नातत्थदसट्टाणा ॥ ३५ ॥ मणपरमोहि पुलाए, आहारग खवग उवसमे कप्पे, संजमतिअ केवल सिझणा जंबूंमिबुच्छिन्ना ॥ ३६॥ सिजं भवेण विहिरं, दसवेयालिअ अट्टनवइ वरसेहिं, सत्तरिसएहिं १७० चुक्काचउपुवा भद्दबाहुमि ॥ ३७॥ तुहिंसु थूलभद्दे, दोसयपन्नरेहिं २१५ पुवअणुओगो, सुहुममहापाणाणिअ आयमसंघयण संठाणा ॥ ३८ ॥ पणसय चुलसीइसु ५८४, वयरेदसपुवा अहकीलियसंघयणं, छसोलेहिअ ६१६ थक्का, दुब्बलिए सडनवपुवा ॥ ३९ ॥ वजसेणे नवपुत्वा पच्छाकमेण हीरमाणा जावदेवाडिगणिखमासमणे साहियपुवसुयं, नवसयअसीए पुत्थयलिहणं, नवसयतेणउएहिं समइकत्तेवीराओकालगसूरिहितो चउत्थीए पतसवणकप्पो, तओपच्छावीराओ वाससहस्सेहि सच्चमित्ताओ पुवसुए बुच्छिन्ने, तओपच्छा उमासाइ हरिभद्दजिणभद्दगणिखमासमणे सीलांगसूरि जाववीराओ
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