________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
Achar
३८३
श्रावक लोग घभराए श्रीपूज्योंसे कहा तब श्रीपूज्योंने उसी वक्त व्यन्तरके प्रयोगसे जीताकरदिया और कहा यह मदिरा मांस नहीं खायगा तबतक जीता रहेगा उसने ६ महीनोंतक मदिरा मांस नहीं खाया वाद एक दिन भूलसे मांस खा लिया उसी वक्त देवशक्ति नष्ट होगई और मरगया, वहां बहुत लोगोंको प्रतिबोधके विहार किया नर्मदा किनारे विहार करते त्रिभुवनगिरीमें कुमारपाल राजाको प्रतिबोधा वहां बहुत यतियोंका विहार कराया वहांसे विचरतेभए मालवदेशमें उजैनीनगरीआए वहां ६४ योगिनियोंको प्रतिबोधी सो लिखते हैं श्रीजिनदत्तसूरिजी महाराज व्याख्यान वांचते थे उस वक्त ६४ योगिनी श्रावकनीका रूप करके आई श्रीपूज्योंने व्याख्यानके पहलेही श्रावकसे कहाथा व्याख्यानमें ६४ छोटे पाटे रखदेना श्रावकने उसीतरह किया उतनेमें ६४ योगिनी आई पाटोंपर बैठगई श्रीपूज्योंने व्याख्यानवांचते योगिनियोंको कीलदी व्याख्यान उठेके वाद सब लोग चले गए योगिनियों बैठी रही तब दीन होकर योगिनियों बोली हे भगवन् हम तो आपको छलनेको आईथी आपने तो हमको स्वाधीन करली आप कृपा करके हमको छोड़ें हम आपकी आज्ञामें रहेंगी तब आचार्यने योगिनियोंको छोड़ी तब योगिनियों आचार्यके विद्यावलसे प्रसन्न होके वरदान दिए उन्होंके नाम लिखते हैं ग्राम २ में खरतरश्रावक दीप्तिवानहोगा १ प्रायः खरतरश्रावक निर्धन नहीं होगा २ संघमें कुमरणनहींहोगा ३ अखंडशीलपालनेवाली साध्वी ऋतुवंती नहीं होगी ४ खरतर संघको शाकन्यादि नहीं छलेगी ५ जिनदत्त नाम
For Private And Personal Use Only