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ऊपर उपकारकरें इस उपद्रवकीशांति करें हम आपकी आज्ञा पालनकरेगे तब आचार्य बोले जैनधर्मअंगीकार करो या अपना एक पुत्र या पुत्री हमको देदेओ तो हम अभी उपाय कर देवे तब लोगोंने श्री पूज्यों का वचन अंगीकार किया तब वहां शांति भई तब बहुत लोग श्रावक होगए जिन्होंने जैनधर्म नहिं अंगीकार किया उन्होंने अपना एक पुत्र वा पुत्री आचार्यजीको दिया वहां ५०० पांचसै साधु भए और ७०० साध्वियां भई, वहां भी महावीर स्वामी की प्रतिमा स्थापी वहांसे विहार करके उच्चनगर जाते हुए बीचमें अन्तराय भूत जो विरोधीलोग थे उन्होंको प्रतिबोधे बड़नगर आए वहां प्रवेशोत्सवहुआ बहुतलोगोंकोप्रतिबोधेवहां कितनेकईरपालुब्राह्मणवगैरहःलोगोंने एक मरनेवाली गायको जिनमंदिरमें रखदी गाय मरगई बाद लोगोंने कहा यह जैनदेव गोघातक है श्रावक लोगसुनते घभराए और श्रीपूज्योंसे कहने लगे महाराज लोग अपवाद करते हैं बाद श्री पूज्योंने मांत्रिक प्रयोगसे गायको वहांसे उठाई गाय चली और रुद्रालय में जाके गिरी तब ईरपालु लोग लज्जित होके आचार्य के पावों में गिरे और कहने लगे हमारा अपराधक्षमा करें अबहम ऐसा कभी नहीं करेंगे आपकी संतति के जो यहां आयेंगे उन्होंका प्रवेश उत्सव वगैरह : हम लोग करंगे आचार्यश्रीने वहांसे विहार किया गुर्जरदेश में होके लाटदेशमें नर्मदा के किनारे भड़ौच ( भरूछ ) नगर पधारे वहां मुगलका राज्य था प्रवेश उत्सवमें मुगलका पुत्र आयाथा बहुत लोंगों की भीडथी उसमें वह मुगलका पुत्र घबराके अकस्मात मरगया
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