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२१४ नाममाला ( कोश ) सूत्र अर्थसे कंठथी, सर्व शास्त्रोंके जाणनेवाले,
और भव्यप्राणियोंके मोक्षप्रासादकी प्राप्तिमें बीजभूत १८ हजार प्रमाणे संवेगरंगशालानामक प्रकरणरचा और जाबालिपुरमें पधारणेपर श्रावकोंके सन्मुख व्याख्यानमें, चियवंदणमावस्सय.
इस गाथाका व्याख्यान करतां जो सिद्धान्तानुसारसूत्रादि पाठअर्थसहितप्रश्नोत्तर अर्थ कहे सो सर्व एक सुशिष्यने लिखे, सो (३०००) प्रमाणे दिनचर्या नामकग्रंथहूवा, वह दिनचर्या ग्रंथ श्रावकोंके बहुतहि उपगारिहवा, और आचार्यपदको प्राप्त होके विहार करते प्रथम दिल्लीसहरमें गए, उहां एकपुरुषको भाग्यशाली देखके ऐसाकहा, कि दिल्लीका बादशाहहोगा, जब वो पुरुष वोला कि में जो बादसाहहोउंगा तो आपमुझे दरशण अवश्य दैना, फेर दिल्लीके आसपासमें महाराज विहार करने लगे, जब वो पुरुषमोजदीननामेंबादसाहहुवा, तब गुरुमहाराज फेर दिल्लीनगरमें गए, तब दिल्लीके संघने बादसाहकों अरजकरी हमारे पूज्य श्रीजिनचंद्रसूरिजी महाराजआयें हैं, सो उनोंका प्रवेश उच्छव करने की इच्छाहै, तब मोजदीन बादशाहभी पूर्वोक्त वरदेनेवाले अपना गुरूकों आया जानके संपूर्णवाजिनसहित संघके साथमें, आप सामनेंगया, प्रवेश, उच्छवसहित शहरमें लायके धनपालनामा श्रीमालके बड़े मक्कानमें उत्तारा करवाया, उहां रहते धनपालश्रीमालप्रमुख बहुतसें श्रीमालांकों प्रतिबोधके जैनी श्रावककिये, तबसें श्रीमालजैनी श्रावक हुवे, और कितनेक राज्याधिकारियोंकों प्रतिबोधके जैनी श्रावक किये, उनोंको बादशाहनें बहुतमानदिया इससे उनका,
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