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१४६ तिसका राज्य (६०) वर्ष रहा, तिसके पीछे श्रेणिकका बेटा कोणिक और कोणिकका बेटा उदायी जब विना पुत्रके मरा, तब तिसकी गद्दी उपर नंद नामा नाइ बैठा, तिसकी गद्दीमें सर्व नंदनामा नव राजा हुए, तिनका राज्य (१५५) वर्षे तक रहा, नवमें नंदकी गद्दी ऊपर मौर्यवंशी चंद्रगुप्त राजा हुआ, तिसका बेटा बिंदुसार, तिसका बेटा अशोक, तिसका बेटा कुणाल तिसका बेटा संप्रति महाराजादि हुए, इन मौर्यवंशीयोंका सर्व राज (१०८) वर्ष तक रहा, यह पूर्वोक्त सर्व राजा प्रायें जैनमतवाले थे, तिनके पीछे तीस वर्ष तक पुष्पमित्र राजाका राज्य रहा, तिस पीछे बलमित्र भानुमित्र, यह दोनों राजाका राज्य (६०) वर्ष तक रहा, तिस पीछे नभवाहन राजाका राज्य (४०) वर्षतक रहा, तिस पीछे तेरा वर्ष गई मिल्लका राज्य रहा, और चार वर्ष साखीराजावोंका राज्य रहा, पीछे विक्रमादित्यने साखीरा जावोंकों जीतके अपना राज्य जमाया, यह सर्व (४७०) वर्ष हुए।
॥ १४ ॥ श्री इंद्रदिन्न सूरिके पाट ऊपर श्रीदिन्नमरि हुये ॥ ॥१५॥ श्रीदिन मूरिके पाट ऊपर, श्री सिंहगिरी सूरि हुये ॥
॥१६॥ श्रीसिंहगिरिजीके पाट ऊपर श्री वज्रस्वामी हुये, जिनको बाल्यावस्थासें जातिसरणज्ञान था, और आकाशगामनी विद्याभी थी, जिनोंने दूसरे बारा वर्षी कालमें संघकी रक्षा करी, तथा जिनोने दक्षिणपंथमें बौद्धोंके राज्यमें श्रीजिनेंद्रपूजा वास्ते फूल लाके दीये, बौद्धराजाकों जैनमती करा, यह आचार्य
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