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सूत्रमें लिखा है (कि) जीव हिंसा संयुक्त, जो वेद है (सो) सुलसा ( अरु ) याज्ञवल्क्यादिकोंने बनाये हैं (और ) कितनीक उपनिषदोंमें पिप्पलादकाभी नाम है ( तथा ) और मुनियोंकाभी कितनेक जगेमें नाम है । जमदग्नि, काश्यपतो वेदोंमें खुद नामसें लिखे हैं । फेर वेदोंकें नवीन होने में कुछ संका नहीं ॥ (इस पीछे ) महाकाल असुरके सहायसें, पर्वतनें, बहुत जीव हिंसा संयुक्त वेद प्रचलित किये हैं। उसका विशेषअधिकार आवश्यक सूत्र, तेसठ शलाका चरित्रादिकमें लिखा है। उहांसें देख लेना ( यह ) जैन ब्राह्मण, जैन वेद, ( तथा ) प्रसंगसें, अन्यमत वेदोत्पत्ति कही ॥ ( अब ) श्री ऋषभदेवस्वामीके परिवारकी संख्या कहते हैं । भगवान् श्री ऋषभदेव स्वामीके सर्व चोरासीहजार (८४०००) साधु हुए (जिसमें) पुंडरीकजी प्रमुख ८४ गणधर हुए ॥ ब्राह्मीजी प्रमुख तीनलाख (३०००००) साध्वी हुई ॥ बीसहजार छसो (२०६००) वेक्रिय लब्धिधारक हुए ॥ बारेहजार छसै पन्नास (१२६५०) वादी विरुद धारक हुए ॥ नवहजार (९०००) अवधिग्यानी हुए ॥ वीसहजार (२००००) केवल ग्यानी हुए बाराहजार साढासातसे (१२७५०) मनपर्यव ग्यानी हुए ॥ च्यारहजार साढासातसे (४७५०) चौदे पूर्वधारी हुए ॥ ३ लाख ५० हजार ( ३५००००) श्रावक हुए ॥ ५ लाख ५४ हजार ( ५५४०००) श्रावकण्यां (इत्यादि) बहुतसे जीवोंका उद्धार करके, अंतसमें कैलास पर्वतके ऊपर ६ उपवास तप करके संयुक्त, अनशन किया। पद्माशन मुद्रायें, आ
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