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Achan
नगरमें एक उमा नामें वेश्या बडी रूपवंत रहती थी, उसका यह कौल था कि जो कोई इतना धन मुझे देवे, सो मेरेसें भोग करे, जो कोई उसके कहेमुजब धन देता था सो उसके पास जाता था। एक दिन महेश्वर उस वेश्याके घर गया, तब तिस उमा वेश्याने महेश्वरके सन्मुख दो फूल करे, एक विकशा हुआ, दूसरा मिचा हुआ, तब महेश्वरनें विकशे फूलकी तर्फ हाथ पसारा, तब उमा वेश्याने मिचा हुआ कमल महेश्वरके हाथमें दीया, और कहा कि यह कमल तेरे योग्य है, तब महेश्वरनें कहा क्यों यह कमल मेरे योग्य है ॥ तब उमाने कहा, इस मिचे हुए कमल समान कुमारी कन्या है सो तुझकों भोग करनेवास्ते वल्लभ है । और में खिले हुए फूल समान हुं, तब महेश्वरनें कहा तूंभी मेरैकों बहुत वल्लभ है, ऐसा कहकर भोग भोगने लगा, और तिसकेही घरमें रहने लगा, तिस उमाने महेश्वरकों अपने वशमें कर लीया, उमाका कहना महेश्वर उल्लंघन नहीं करसकता था, ऐसें जब कितनाक काल व्यतीत हुआ, तब चंडप्रद्योतनने उमाकों बुलायके उसकों बहुत धन, और आदर सन्मान देकर कहा, कि तूं महेश्वरसें यह पूछे कि ऐसाभी कोई काल है कि जिसकालमें तुमारेपास कोइभी विद्या नहीं रहती ॥ तब उमाने महेश्वरकों पूर्वोक्त रीतिसें पूछा, तब महेश्वरनें कहा कि जब में मैथुन सेवता हुं तब मेरेपास कोइभी विद्या नहीं रहती अर्थात् कोई विद्या चलती नहीं तब उमानें चंडप्रद्योतन राजाकों सर्व कथनसुना दीया, तब राजाने उमासें कहा कि जब महेश्वर तेरेसें भोग करैगा, तब हम उसकों
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