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पट्टराणी, जिनकपुत्र शोलमा भगवान् , पांचमां चक्रवर्ति श्री शांतिनाथ स्वामी हुवा, इनके विजयानामें स्त्रीरत्न भई, छ खंडका राज्य किया, अवसर आये चारित्र लेके केवल ग्यानपायके सर्व एक लाख वरपको आयुष्य पूरण करके सिद्धिस्थानकों प्राप्त हुवा ।। इति ॥५॥
॥६ ठा, श्री कुंथुनाथचक्रवर्तिः॥ हथनापुरनामा नगरमें, सूरनामें राजा, जिसके श्रीनामें पट्टराणी जिनके पुत्र १७ मा भगवान् , छठा चक्रवर्ति श्री कुंथनाथस्वामी हुवा । इनके कन्हसीरीनामें स्त्रीरत्न हुई, छ खंडका राज्य किया । अवसर आये चारित्र लेके केवल ग्यान पायके, ८५ हजार वरपका आयुष्य पूरन करके मोक्षकों प्राप्त हुवा ॥ इति ॥ ६॥
॥७ मा श्री अरनाथनामें चक्रवर्तिः ।। हथनापुरनामा नगरमें, सुदर्शननामें राजा, जिसके देवीनामें पट्टराणी, जिनकेपुत्र १८ मा भगवान् , ७ मा चक्रवर्ति श्री अरनाथस्वामी हुवा । इनके पदमश्रीनामें स्त्रीरत्न हुई। ६ खंडमें राज्य किया, अंतमें चारित्र लेके केवल ग्यान पायके ६० हजार वरपका आयुष्य पूरण करके मोक्षकों प्राप्त हुवा ॥ इति ॥७॥
॥८ मा सुभूमनामें चक्रवर्तिः ॥ हथनापुरनामा नगरमें, कीर्तिवीर्यनामें राजा जिसके तारानामें पट्टराणी, जिनके पुत्र सुभूमनामें आठमा चक्रवर्ति हुवा । इनके सूरश्रीनामें स्त्रीरत्न हुई । छ खंडका राज्य किया। अंतमें ३०
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