________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
९२
हजार वरषका आयुष्य पूरण करके सातमी नरक पृथ्वीमें उत्पन्न हुवा ।। इति ॥८॥
॥९मा पमनामें चक्रवतिः ॥ वणारसी नामें नगरीमें, पद्मोत्तर नामा राजा, जिसके ज्वाला नामें पट्टराणी, जिसके पुत्र महापद्म नामें नवमा चक्रवर्ति हुका । इनके वसुंधरा नामें स्त्रीरत्न भई । अंतमें १९ हजार वरषको आयुष्य पूरण करके मोक्षकों प्राप्त हुवा ॥ इति ॥९॥
॥१० मा हरिषेण नामें चक्रवर्तिः ॥ कंपिलपुर नामा नगरमें, हरि नामें राजा, जिसके मेरा नामें पट्टराणी, जिनके पुत्र हरिषेण नामें दशमा चक्रवर्ति हुवा । इनके देवी नामें स्त्रीरत्न भई । अंतमें दश हजार वरषको आयुष्य पूरण करके सिद्धि स्थानकों प्राप्त हुवा ॥ इति ॥ १० ॥
११ मा, जय नामें चक्रवर्तिः ॥ राजगृही नामें नगरीमें, विजय नामें राजा, जिसके विप्रा नामें पट्टराणी, जिसके पुत्र जय नामें इग्यारमा चक्रवर्ति हुवा । इनके वलच्छीनामें स्त्रीरत्न भई । अंतमें तीन हजार वरषको आयुष्य पूरण करके सिद्धि स्थानकों प्राप्त हुवा ॥ इति ॥ ११ ॥
१२ मा ब्रह्मदत्त नामें चक्रवर्तिः॥ कंपिलपुर नामा नगरमें, ब्रह्म नामें राजा, जिसके चूलणी नामें पट्टराणी, जिसके पुत्र ब्रह्मदत्त नामें बारमा चक्रवर्ति हुवा । इनके कुरमती नामें स्त्रीरत भई । अंतमें ७ से वरषको आयुष्य
For Private And Personal Use Only