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भए ॥ ३३४० मनपर्यव ज्ञानी भए || ३२०० केवल ज्ञानी भए । ६७० चवदे पूर्वधारी भए ॥। १ लाख ७९ हजार श्रावक हुआ || ३ लाख ८१ हजार श्राविका हुई ( इत्यादिक) बहुतसे जीवोंका उद्धार करके, अंतसमें समेतशिखरजी पर्वतऊपर, १००० साधुवों केसाथ, १ मासका अनशन कीया । काउसग्ग मुद्राई, आत्मगुणके ध्यानसें, सर्वकर्मोकुं खपायके, मिति वैशाखबदि १ दिन, ९५ हजार वर्षको आयुष्य पूरण करके सिद्धिस्थानकों प्राप्ति भए । शासनदेव गंधर्व यक्ष । शासनदेवी बला । छागयोनी । वृष राशि | अंतरमान पावल्योपम । सम्यक्त पायेवाद तीसरेभवमें मोक्ष गये । इति ५५ बोलगर्भित ६ ठा चक्रवर्त्ति, १७ मा श्री कुंथुनाथ स्वामीका अधिकार संपूर्णम् ॥
॥ अथ १८ मा श्री अरनाथस्वामी अधिकारः ॥ गजपुरनामा नगरमें, इक्ष्वाकुवंशी, सुदर्शननाम राजा हुवा (तिसके) देवीनामें पट्टराणी हुई । जिसकी कुखमें सर्वार्थसिद्ध नामा देवलोकसें चवके, मिति फागणसुदि २ के दिन भगवान् उत्पन्न भए । तब मातायें गजादि अग्निसिखापर्यंत १४ स्वप्ना प्रगटपणें मुखमें प्रवेशकर्त्ता देखा । पीछे सर्व दिशा सुभिक्षसमें, मिगसर सुद १० के दिन, रेवतीनक्षत्रे जन्मकल्याणक हुवा | उसी वखत ५६ दिशा कुमारीयों मिलके सूतिका महोच्छव कीया पीछे ६४ इंद्र मेरुपर्वतपर भगवानकों ले जायके जन्ममहोच्छव कीया । तिस पीछे सुदर्शनराजायें १० दिवसपर्यंत मोटो जन्ममहोच्छव करके, सर्व न्याती गोती प्रजागणकों मनसा
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