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पद धारक हुये । पुष्पचूडा प्रमुख ३८ हजार सर्व साध्वी भई ॥ ११०० वैक्रिय लब्धिवंत भये ॥ ६०० वादी विरुद पद धारक भये ।। १००० अवधि ज्ञानी भये || ७५० मनपर्यव ज्ञानी भये ॥ १००० केवल ज्ञानी भये || ३५० चवदे पूर्वधारी भये ॥ एक लाख ६४ हजार श्रावक भये || ३ लाख ३९ हजार, श्राविका भई ॥ इत्यादिक बहुत से जीवोंका उद्धार करके, अंतसमें समेत शिखरजी पर्वतऊपर, १ मासका अनशन कीया । काउसग्ग मुद्राई आत्मगुणके ध्यानसे, सर्व कर्माकों खपायके, मिति श्रावण सुदि ८ के दिन, ३३ साधुवों केसाथ, १०० वर्षका आयुष्य मान पूरण करके, सिद्धि स्थानकों प्राप्त भए । शासनदेव पार्श्व यक्ष, शासनदेवी पद्मावती, राक्षस गण, मृग योनी, तुल राशि, अंतरमान २५० वर्ष, सम्यक्त पायेवाद १० में भवे मोक्ष गया || इति २३ मा श्री पार्श्वनाथ स्वामीका ५५ बोल गर्भित अधिकार: ॥
॥ अथ २४ मा श्री वर्द्धमानखामी अधिकारः ॥ ब्राह्मण कुंडग्रामनामा नगरमें, कोडालश गोत्रका धरणहार ऋषभदत्त नामें ब्राह्मण हुवा, जिसके देवानंदानामें भार्या भई, जिसकी कुखमें प्राणतनामा देवलोकसें चवके, मिति आशाढ सुद ६ के दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्रकेविषे भगवान् उत्पन्न भया । तब देवानंदा ब्राह्मणीयें चउदै स्वप्ना देखा ( पीछे ) सौधर्म इंद्र ब्राह्मणोंके कुल में पूर्वकर्मकेयोग भगवान् कों उत्पन्न हुवा देखके, आश्चर्यभूत संबंध हुवा जानके, अपना आग्याकारी हरणेगमेषी देवताकों भेजा, सो हरणेगमेषी देवता आयके देवमाया करके
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