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अडतालीससो (४८००) अवधिज्ञानी हुये ॥ पच्चावनसो (५५०० ) मनपर्यव ज्ञानी हुये || पच्चावनसो ( ५५००) केवल ज्ञानी हुये || (१९००) चवदे पूर्वधारी हुये ॥ २ लाख ८ हजार (२०८०००) श्रावक हुये || ४ लाख २४ हजार (४२४००० ) श्राविका हुई ( इत्यादिक) बहुतसे जीवोंका उद्धार करके, अंतसमें समेत शिखरजी पर्वत ऊपर, ६०० साधुवोंकेसाथ, ९ मासका अनशन ग्रहण किया काउसग्ग मुद्रायें, आत्म गुणके ध्यानसें, सर्व कर्मकों खपायके, मिति आषाढ वदि ७ के दिन, ६० लाख (६००००००) वर्षको आयुष्य पूरन करके सिद्धि स्थानकों प्राप्त भये । शासन देव षण्मुख यक्ष | शासन देवी विदिता । मानवगण छागयोनि । मीन राशि | अंतर्मान ९ सागरोपम, सम्यक्त पायेवाद तीसरे भव मोक्ष गये | इनके वारे तीसरा स्वयंभू वासुदेव, अभद्र नामा बलदेव तथा मेरक नामा प्रति वासुदेव हुवा || इति ५५ बोल गर्भित श्री विमल स्वामी अधिकारः ॥ १३ ॥
॥ अथ १४ मा श्री अनंतनाथ खामी अधिकारः ॥ अयोध्या नगरीमें, इक्ष्वाकवंशी, सिंहसेन नामें राजा हुवा तिसके सुयशा नामें पट्टराणी । जिसकी कुखमें, प्राणत नामा, देवलोक चवके, मिति श्रावण वदि ७ के दिन, भगवान् उत्पन्न हुवा । तब मातायें गजादि अनि शिखापर्यंत, १४ स्वप्ना प्रगटपणें मुखमें प्रवेश कर्त्ता देखा ( पीछे ) सर्व दिशा सुभिक्षसमें, मिति वैशाख वदि १३ के दिन, रेवती नक्षत्रे, जन्म कल्याणक हुवा ( उसी वखत ) ५६ दिशा कुमारीयों मिलके, सूतिका महोच्छव
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