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६ गत
कोक १ प्रमाण
७ इन्द्री पांच कोहक १ प्रमाण
चौतीस स्थान दर्शन
- काय
5
कोष्ठक १ प्रमाण १ संज्ञी पंचद्रीय
त्रस १
योग
कोष्टक १ प्रमाण
१० वेद तीन कोष्टक १ प्रमाण
११ कषाय कोष्टक १
प्रमाण १२ ज्ञान तीन कुमति श्रुति
कुम
३ संगम प्रनंयम
२५
संज्ञी पंचेन्द्रीम
१३
काय योग कारमा कार्य योग घठाकर
३
चौदारिक मित्रकाम
नियंत्र और मनुष्य में काय योग चटाकर योग नारकी और देव के प्रौदारिक वैकुयक मिश्र काय योग बटाकर
E
२५
४
9
ܕ
-- के मंग कोष्टक १८ प्रमा
३२ के भंग तीन का मंग कुमति कुति कुअवधि
दो का भग कुमति कु. नि
( ३४ ) कोष्टक नम्बर २
|
५
कोई गति
कोई १ योग
कोई १ बंद
कोई १ भंग
कोई १ कुनाम
६
सासादनी मरकर नरक में नहीं जाता
x माहार पर्याप्त तक ही सासादन गुरंग स्थान रह सकता है
४
कोप्टक १ मा आहार पर्याप्त तक ही ३ श्रीदारिक मिय कृषक मिश्र कार्मारण ये तीन काय योग
३ मराठी गोमट
सार कर्मकांड कोष्टक २१
प्रमारगु
२५
२ कुमति
1
भासादन गुण स्थान
५.
8
मासादनी मरकर अग्नि काय वायु काय में जन्म नहीं लेता है
१
७-६ के भंग
पर्याव २ का मंग
कोई १ इन्द्री
कोई १ काय
कोई १ योग
कोई १ वेद
कोई १ भंग
कोई ज्ञान