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चौंतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नम्बर २
सामादन गुण स्थान
क्रम स्थानाम मामानमाला
पर्याप्त
अपर्याप्त
मामान आलाप
एक समय में माना जाबों ? समय में एक जीब
को अपेक्षा बालाप | की अपेक्षा पालाप
मामान प्रालाप
१ ममय नाना जीव की एक समय मे १ जीव अपेक्षा गारापकी अपेक्षा पालाप
१ मामादन १सासादन |
गुला स्थान २ जीव समास
संजी पंचेन्द्रीय | पर्याप्ति
अपर्या तक केन्द्रीय सूक्ष्म अपर्याप्त
" वादर " वे इन्द्रीय ने इन्ट्रीय चौ इन्द्रीय असंजी पंचन्द्रीय " मंशीप चेन्द्रीय " सूचना माहार पर्याप्त तक ही सासादनी रहता है उसकी अपेक्षा ये सात स्थान शंटे है परनु शरीर पर्याप्ती प्राप्त होते ही मिथ्या दृष्टि बन
जाना है। ६-५सर्व अवस्था
कोई १ अवस्था लब्धि का पर्याप्त बत प्रपनी अपनी पर्याप्तो प्राधान | उपयोग रूप । हो कोष्टक | प्रमाण गः अबस्वायें
| कोई अवस्था अपनी अपनी अपने अपने सामास सामास प्रमाण
प्रमाण
२ पर्याप्ती काठक १ प्रमागा
संज्ञी पंचेन्द्रीय पर्याप्त ही होता है
१०
४ प्रारा १०१० कोष्ठक १ प्रमाण संत्री पंचेन्द्रीय
पर्याप्त हो
होता है ५संजा ४४४ कोकप्रमाण