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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं.१
मिथ्यात्व गुण स्थान में
१ मंग
मसिद्धत्व १, !(3) मनुप्य गति में
भंग (२) नियंच गति में । मारभंग भंग पारिगामिक भाव ३, ३१-२७ के भंग कोन. १८ देखो को२०१८ देखो २४-२५-२-२२-२४ भंग की नं०१३ देवो कोनं०१० मा ये ३४ भाव जानना फो० नं१८ देखो
को० नं०१७ देखो (४) देवगति में
। १ भंग १ भंग (B) भनुज गति में कोई भंग । भम २५-२-२४ के भंग को०० १६ देखो को.नं.१६ देखा ३०-२४ के भंगको न०१८ देखो को नं०१ देत को० नं०१६ देखो
को न०१- देखो । | (१) दंव गति में
१ भंग । १ भंग । २६-२६-२३ के भंगको नं १६ देखो कोम १९टेन
को नं० १६ देखो २४ अवमाहना-जघन्य अवगाहना बनाल के पसंख्यात भाग जानना, (यह अवगाहना माय पर्याभक जीव की है।) उत्कृष्ट अवगाहना -
१००० (एक हजार) योजन को जानना, (वह मबगाना स्वयं भूरमग सरोवर का कमन (धनस्पति काय और स्वय मुग्नगा
समुद्र में पंचेन्द्रिय महामत्स्य की होती है। विशेष खुलासा को न०१६ मे ३४ देखो। २५ बंध कृतियाँ-११७ बंधयोग्य १२० प्रकृतियां जानावरणीय ५, दर्शनावराय , पंदनीय २. मोहनीय २८, (नम्पग्मिध्यान्त्र, सम्मान
ये २ घटाकर २६) माबु ४, नामकर्म के ६७ (स्मोदिक ४, गनि ४, जाति , गगैर ५, संस्थान ६, अंगोपांग , संहनन ६, मामपूर्षी ४, विहायोग्दति २, नुरुलघु १, उपधात १, परधान , उपद्रवाममालप, उद्यान , स्थावर १, बादर १, मूक्ष्म १, पर्याप्त १, भपयाप्त १, प्रत्येक गरीर १, साधारण शरीर , स्थिर १, मन्धिर, मुभ १. अशुभ १, मुभग १, दूर्भग १, सुस्वर १, दृस्वर १, ग्रादय १. मनादेय १. याः कीनि १, पण: प्रति १, निनांग १, तीर्थकर १, ये ६५) गोत्र २, अन्नराव ५, ये १२० प्रति जानना, इनमे गे माहारकादक ३, नीयंकर प्रकृति ये ३ प्रकृति
घटाकर ११७ प्रकृति जानना। २६ उदय प्रकृतियां-११७ उदययोग्य १२२ प्रकृतियां-वंघ योग्य १२. प्रकृतियों में मिथ्यात्व प्रति का उदय के यम पनीनवड सप २ में
पातो है, (मिथ्यात्व, सम्बग्मिथ्यास्व, सम्यत्र प्रनि ३) इसलिये उदय प १२ प्रतियां जानना, इनमें से चाहारक दिक २, नाबंकर प्रकृति १, सम्यम् मिथ्यात्व १, मम्यक् प्रकृति, इन पांच प्रकृतियों का उद्धा इन गुना स्थान में नहीं
होता, इसलिये १२२ में से प्रकृतियां पटाकर ११७ जानना। २७ सत्व प्रकृतियां-१४८ नामकर्म को जिन २६ प्रकृतियों का अर्थात् स्पर्श ८, ग्म , गंध २, , न २ प्ररियों में में म्पर्श ? म ?,
वर्ग १, इन । प्रकृतियों का ही बंध होता है। इमलिथै य । प्रतियां घटाने में अंय १६ प्रातिया और इभी दर बंधन १, सघात ५ इन १० प्रकृतियों का पांच शरीर के साथ प्रविनाभावी मम्बन्ध र १० प्रहनियों का अलग बन्ध